पटवटोली: बिहार का IIT बनाने वाला गांव
पटवटोली: एक प्रेरणादायक बदलाव
बिहार के गया जिले का पटवटोली गांव अब पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन चुका है। पहले बुनकरों का गांव माना जाने वाला यह स्थान अब “IIT Factory of India” के रूप में उभरा है। यहां के बच्चे अब करघों के बजाय अपने करियर का निर्माण कर रहे हैं। जहां पहले धागे और कपड़े गांव की पहचान थे, वहीं अब हर घर से कोई न कोई इंजीनियर या IITian निकल रहा है। यह परिवर्तन सामूहिक प्रयास और शिक्षा के प्रति गहरी रुचि की कहानी है।
बदलती पहचान: 'Manchester of Bihar' से 'IITians का गांव'
पटवटोली को पहले ‘Manchester of Bihar’ के नाम से जाना जाता था, क्योंकि यहां बुनाई का काम पीढ़ियों से होता आ रहा था। लेकिन अब गांव की पहचान में बदलाव आ चुका है। हर साल यहां से कई छात्र IIT JEE की कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त करते हैं। इस बदलाव की शुरुआत 1991 में हुई, जब जितेंद्र पटवा पहले व्यक्ति बने जिन्होंने IIT में प्रवेश पाया। उनकी सफलता ने पूरे गांव में शिक्षा के प्रति एक नई जागरूकता पैदा की।
मुफ्त कोचिंग से शिक्षा का नया रास्ता
गांव में शिक्षा का यह आंदोलन ‘वृक्ष संस्था’ के माध्यम से संचालित हो रहा है। संस्था का उद्देश्य है कि किसी भी बच्चे का सपना आर्थिक बाधाओं के कारण न रुके। यहां छात्रों को पूरी तरह से मुफ्त कोचिंग प्रदान की जाती है। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों के शिक्षक डिजिटल क्लासरूम के माध्यम से बच्चों को पढ़ाते हैं। यह मॉडल आधुनिक तकनीक और सामुदायिक सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
सीनियर्स का जूनियर्स के लिए मार्गदर्शन
यहां की शिक्षा प्रणाली का एक अनूठा पहलू ‘लर्न एंड गिव बैक’ का सिद्धांत है। जो छात्र IIT या अन्य प्रमुख संस्थानों में पहुंच चुके हैं, वे छुट्टियों में लौटकर जूनियर्स को पढ़ाते हैं। हर बैच अगले बैच का मेंटर बनता है। इससे छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ता है और ज्ञान का यह चक्र लगातार मजबूत होता जा रहा है।
38 छात्रों की नई उपलब्धि
इस वर्ष गांव ने एक और उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। कुल 45 छात्रों में से 38 ने JEE Advanced पास किया, जिनमें से कई टॉप 10 प्रतिशत में शामिल रहे। अब इस सफलता में बेटियों की भागीदारी भी बढ़ रही है। पहले जहां शहरों में कोचिंग भेजना कठिन था, वहीं अब बच्चे गांव में ही IIT की तैयारी कर रहे हैं।
शिक्षा से बदलती जिंदगी की कहानी
पटवटोली केवल एक गांव नहीं, बल्कि उम्मीद की एक मिसाल बन चुका है। यह दर्शाता है कि जब समाज बच्चों के सपनों में निवेश करता है, तो असंभव भी संभव हो जाता है। इस गांव की कहानी यह बताती है कि सही दिशा, सहयोग और सामूहिक संकल्प से भारत के हर छोटे गांव में सफलता की नई कहानी लिखी जा सकती है।