पराग जैन बने RAW के नए प्रमुख, जानें उनकी जिम्मेदारियां और सैलरी
RAW के नए प्रमुख की नियुक्ति
RAW के प्रमुख पराग जैन: भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) को नया प्रमुख मिल गया है। 1989 बैच के पंजाब कैडर के आईपीएस अधिकारी पराग जैन को केंद्र सरकार ने RAW का अगला प्रमुख नियुक्त किया है। उनका कार्यकाल 1 जुलाई 2025 से शुरू होगा और वे अगले दो वर्षों तक इस पद पर कार्यरत रहेंगे। वे वर्तमान प्रमुख रवि सिन्हा की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 30 जून 2025 को समाप्त हो रहा है।
सैलरी और सुविधाएं
RAW का प्रमुख बनना केवल एक प्रतिष्ठा की बात नहीं है, बल्कि इसके साथ केंद्र सरकार से मिलने वाला वेतन और सुविधाएं भी काफी आकर्षक होती हैं। पराग जैन को इस पद पर कैबिनेट सेक्रेटरी ग्रेड के अंतर्गत वेतन मिलेगा, जो पेय लेवल 18 (Apex Scale) के तहत आता है। इस ग्रेड में ₹2.5 लाख रुपये प्रतिमाह की बेसिक सैलरी निर्धारित है।
अन्य भत्ते
इसके अलावा, उन्हें केंद्र सरकार की ओर से महंगाई भत्ता (DA), हाउस रेंट अलाउंस (HRA), यात्रा भत्ता (TA), चिकित्सा सुविधाएं और अन्य आवश्यक भत्ते भी मिलते हैं। इन सभी को मिलाकर पराग जैन की कुल मासिक सैलरी ₹3.5 लाख से ₹4 लाख रुपये तक पहुंच सकती है।
कैबिनेट कमेटी की मंजूरी
पराग जैन की नियुक्ति को कैबिनेट अप्वॉइंटमेंट्स कमेटी की मंजूरी मिलने के बाद अंतिम रूप दिया गया। वे पहले से ही RAW में स्पेशल सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत थे। अब उन्हें प्रमोशन देकर एजेंसी की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पराग जैन का परिचय
पराग जैन 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी हैं। उन्होंने UPSC सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करके पुलिस सेवा में प्रवेश किया था। उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनका प्रशासनिक अनुभव और खुफिया क्षेत्र में कार्य करने का लंबा अनुभव उन्हें इस पद तक लेकर आया है।
RAW की चुनौतियां
पराग जैन की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को लेकर कई गंभीर चुनौतियां सामने हैं। चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ-साथ आतंकवाद, साइबर अटैक और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जानकारी एकत्र करने की जिम्मेदारी भी RAW पर है। ऐसे में पराग जैन से उम्मीदें काफी अधिक हैं।
पराग जैन की नियुक्ति केवल एक पद पर बदलाव नहीं है, बल्कि यह आने वाले दो वर्षों के लिए भारत की रणनीतिक सुरक्षा की दिशा तय करने वाला एक महत्वपूर्ण निर्णय है। उनकी सैलरी भले ही आकर्षक हो, लेकिन इससे कहीं बड़ी है उनकी जिम्मेदारी।