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पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बढ़ते संबंधों पर नई रोशनी

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशहाक डार की अमेरिका यात्रा और वहां की गई प्रशंसा ने पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बढ़ते संबंधों को उजागर किया है। इस बीच, पाकिस्तान की चीन के साथ निकटता भी बढ़ रही है। यह स्थिति भारत के लिए नई चुनौतियाँ पेश कर रही है। जानें कैसे पाकिस्तान दो वैश्विक शक्तियों के साथ संतुलन बनाने में सफल हो रहा है और इसके पीछे के कारण क्या हैं।
 

पाकिस्तान के विदेश मंत्री की अमेरिका यात्रा

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशहाक डार ने वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की, जिसमें रुबियो ने आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में पाकिस्तान के सहयोग की सराहना की। इसके तुरंत बाद, पाकिस्तान सरकार ने अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमान के प्रमुख जनरल माइकल कुरिला को अपने सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया। इस अवसर पर, पाकिस्तान ने कहा कि जनरल कुरिला ने पाकिस्तानी सेना और यूएस सेंटकॉम के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह घटनाक्रम अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड के पाकिस्तान के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।


भारत के लिए नई चुनौतियाँ

यह स्पष्ट है कि भारत की कोशिशें पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक बताने में वॉशिंगटन में सफल नहीं हुई हैं। इसके विपरीत, पाकिस्तान और अमेरिका के बीच एक नया मित्रता का रिश्ता विकसित होता दिख रहा है, जो भारत के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत करता है। यह तब हो रहा है जब पाकिस्तान और चीन के बीच संबंध और भी मजबूत हो रहे हैं। जब इशहाक डार वॉशिंगटन में प्रशंसा प्राप्त कर रहे थे, उसी समय पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल असीम मुनीर बीजिंग में चीन के साथ अपने देश के रणनीतिक संबंधों को और गहरा करने पर चर्चा कर रहे थे।


पाकिस्तान की कूटनीतिक सफलता

इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान वर्तमान में दो वैश्विक शक्तियों, अमेरिका और चीन, के साथ संबंध बनाने में सफल हो रहा है। यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका और चीन पाकिस्तान के साथ खड़े हुए हैं, लेकिन अतीत में जब ऐसा हुआ, तब चीन की शक्ति इतनी मजबूत नहीं थी और अमेरिका से उसकी प्रतिस्पर्धा नहीं थी। उस समय सोवियत संघ/रूस का भारत को समर्थन संतुलन बनाने में मदद करता था। लेकिन अब रूस के साथ भी पाकिस्तान के संबंध बेहतर हो रहे हैं। ऐसे में भारत की कूटनीति पाकिस्तान के मुकाबले कमजोर होती नजर आ रही है। इस स्थिति के कारणों और प्रभावों पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान राजनीतिक माहौल में ऐसी चर्चाओं की संभावना कम है।