×

पीओके में जेनरेशन ज़ेड के विरोध प्रदर्शनों में बढ़ती हिंसा

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जेनरेशन ज़ेड के छात्रों द्वारा शिक्षा सुधारों के लिए चलाए जा रहे विरोध प्रदर्शनों में हाल ही में हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं। प्रारंभ में शांतिपूर्ण रहे ये प्रदर्शन अब शहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ व्यापक असंतोष का प्रतीक बन गए हैं। छात्रों की बढ़ती फीस और मूल्यांकन प्रणाली के खिलाफ आवाज उठाने के साथ-साथ, हालिया गोलीबारी की घटनाओं ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। जानें इस आंदोलन की पृष्ठभूमि और छात्रों की मुख्य मांगें क्या हैं।
 

पीओके में विरोध प्रदर्शनों की नई लहर

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हालिया हिंसक घटनाओं के बाद, क्षेत्र में विरोध प्रदर्शनों की एक नई लहर उभरी है। इस बार, शिक्षा सुधारों के मुद्दे पर जेनरेशन ज़ेड, मुख्यतः छात्र, नेतृत्व कर रहे हैं। प्रारंभ में, यह प्रदर्शन बढ़ती फीस और मूल्यांकन प्रक्रिया के खिलाफ एक शांतिपूर्ण आंदोलन के रूप में शुरू हुआ, लेकिन यह शहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध में बदल गया है, जिससे क्षेत्र में जेनरेशन ज़ेड के बीच असंतोष की गहराई का पता चलता है। इस महीने की शुरुआत में शुरू हुए ये प्रदर्शन अधिकांशतः शांतिपूर्ण रहे, लेकिन एक अज्ञात बंदूकधारी द्वारा छात्रों पर गोलीबारी के बाद स्थिति बिगड़ गई, जिसमें एक छात्र घायल हुआ। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में मुज़फ़्फ़राबाद में एक व्यक्ति प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाते हुए नजर आ रहा है, जिससे इलाके में दहशत का माहौल बन गया। रिपोर्टों के अनुसार, यह घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई थी。


विरोध प्रदर्शन का विस्तार

पीओके में जेन-जेड विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया

यह आंदोलन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गया है, जब छात्रों ने टायर जलाने, आगजनी और तोड़फोड़ की, साथ ही पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। यह दृश्य दक्षिण एशिया के अन्य देशों जैसे नेपाल और बांग्लादेश में जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों की याद दिलाता है। मुजफ्फराबाद के एक प्रमुख विश्वविद्यालय में बढ़ती फीस और बेहतर सुविधाओं की मांग को लेकर विरोध शुरू हुआ। जैसे-जैसे आंदोलन बढ़ा, प्रशासन ने विश्वविद्यालय में राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया। जनवरी 2024 में भी इसी तरह का एक आंदोलन हुआ था, जिसमें छात्रों ने सेमेस्टर फीस के नाम पर हर तीन-चार महीने में लाखों रुपये वसूलने का आरोप लगाया। इसके बाद, पीओके के शिक्षण और प्रशासनिक कर्मचारी भी अपने लंबे समय से लंबित वेतन वृद्धि की मांग को लेकर इस विरोध में शामिल हो गए।


छात्रों की मांगें

क्या हैं माँगें

इस बार, इंटरमीडिएट के छात्र भी इस विरोध में शामिल हो गए हैं। उनकी शिकायत है कि नए शैक्षणिक वर्ष में मैट्रिक और इंटरमीडिएट स्तर पर एक नई ई-मार्किंग या डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली लागू की गई है। 30 अक्टूबर को, छह महीने की देरी के बाद, पीओके में इंटरमीडिएट प्रथम वर्ष की परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए गए। हालांकि, स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, छात्रों ने अप्रत्याशित रूप से कम अंक मिलने की शिकायत की, जिसे उन्होंने ई-मार्किंग प्रणाली के कारण बताया।