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पीओके में हड़ताल: सरकार और नागरिकों के बीच बढ़ता तनाव

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नागरिकों और सरकार के बीच चल रहा विवाद अब एक बड़े आंदोलन का रूप ले चुका है। 29 सितंबर से शुरू हुई अनिश्चितकालीन हड़ताल ने पूरे क्षेत्र में जनजीवन को प्रभावित किया है। बाजार बंद हैं, स्कूल-कॉलेजों में ताले लटक गए हैं, और प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं। प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें भ्रष्टाचार और रोजगार की कमी से संबंधित हैं। जानें इस आंदोलन की जड़ें और सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में।
 

पीओके में आंदोलन का उभार

Pok protest: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नागरिकों और सरकार के बीच चल रहा विवाद अब एक बड़े आंदोलन का रूप ले चुका है। 29 सितंबर से पब्लिक एक्शन कमेटी ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की, जिसका प्रभाव सोमवार सुबह से पूरे क्षेत्र में स्पष्ट दिखाई देने लगा। हड़ताल के कारण बाजार बंद हो गए हैं, स्कूल और कॉलेजों में ताले लटक गए हैं, और सामान्य जनजीवन पूरी तरह से ठप हो गया है.


सुरक्षा बलों की तैनाती

स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने पूरे पीओके में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं और विभिन्न स्थानों पर भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं। हालांकि, हालात बिगड़ने की आशंका अभी भी बनी हुई है, क्योंकि जनता और सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है.


आंदोलन की जड़ें

क्यों भड़का आंदोलन?

इस आंदोलन की शुरुआत आटे की कीमतों में वृद्धि से हुई थी। धीरे-धीरे यह भ्रष्टाचार, रोजगार और शासन व्यवस्था के खिलाफ एक बड़े विद्रोह का रूप ले चुका है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पब्लिक एक्शन कमेटी ने 25 सितंबर को सरकार के साथ बैठक कर अपनी मांगें रखी थीं। कमेटी का कहना था कि पीओके की स्थानीय सरकार की शक्तियों में कटौती की जाए और वीआईपी व्यवस्था को समाप्त किया जाए.


प्रदर्शनकारियों की मांगें

प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कश्मीर संयुक्त नागरिक कमेटी ने सरकार को 38 मांगों की सूची सौंपी है। इनमें प्रमुख हैं:

  • प्रवासियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को समाप्त करना

  • सरकार के प्रमुख लोगों का भत्ता और वीआईपी संस्कृति समाप्त करना

  • जल विद्युत परियोजना की रॉयल्टी तुरंत जारी करना

  • सरकार ने इन मांगों को पूरा करने में असमर्थता जताई है, जिससे लोगों का गुस्सा और बढ़ गया है.


भ्रष्टाचार और बेरोजगारी का मुद्दा

शौकत अली मीर ने उठाया भ्रष्टाचार-बेरोजगारी का मुद्दा

विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व शौकत अली मीर कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में अपने भाषण में कहा था कि पाकिस्तान की सरकार ने पीओके के लोगों को दलदल में धकेल दिया है। अब बाहर निकलने का समय आ गया है। शौकत अली मीर ने भ्रष्टाचार और रोजगार की कमी को आंदोलन के मुख्य मुद्दे बताया है.


सुरक्षा बलों की तैनाती

इस्लामाबाद से भेजे गए 3 हजार जवान

हालात पर काबू पाने के लिए पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद से 3 हजार जवान पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद में भेजे हैं। दरअसल, स्थानीय स्तर पर तैनात जवान भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी मांग समान वेतन और भत्ते की है। ऐसे में सरकार को बाहरी बल तैनात करने पड़े.


तनावपूर्ण स्थिति

हालात अब भी तनावपूर्ण

पीओके में हड़ताल और इंटरनेट बैन से आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है। रोजमर्रा की जिंदगी रुक चुकी है और सड़कों पर केवल सुरक्षाबलों की गश्त नजर आ रही है। जनता अपनी मांगों पर अडिग है और सरकार झुकने को तैयार नहीं, जिससे हालात और बिगड़ने का खतरा बना हुआ है.