पूर्णिया में अंधविश्वास का खौफनाक चेहरा: एक परिवार को जिंदा जलाने की घटना
पूर्णिया में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना
बिहार के पूर्णिया जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां अंधविश्वास के चलते एक ही परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जला दिया गया। इस घटना में तीन महिलाएं भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि गांव के कुछ लोगों को एक महिला पर 'डायन' होने का संदेह था, जिसके कारण यह भयानक कृत्य किया गया।
पीड़ित परिवार का अतीत और गांव में बच्चों की मौत
यह भी जानकारी मिली है कि पीड़ित परिवार लंबे समय से झाड़फूंक का काम करता था। हाल ही में गांव में कुछ बच्चों की मौत के बाद उस महिला पर आरोप लगाए गए थे। घटना के बाद से गांव के अधिकांश लोग फरार हो गए हैं और पुलिस मामले की जांच कर रही है।
रात के अंधेरे में हमला
रविवार की रात लगभग 10 बजे, गांव के 40 से 50 लोग बाबूलाल उरांव के घर पर इकट्ठा हुए। पहले परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट की गई, फिर उन पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई। मारे गए लोगों में 70 वर्षीय मसोमात कातो, 50 वर्षीय बाबूलाल उरांव, उनकी 40 वर्षीय पत्नी सीता देवी, 30 वर्षीय मनजीत कुमार और 25 वर्षीय रानी देवी शामिल हैं।
अधजले शवों का दफन
इस जघन्य कृत्य के बाद, आरोपियों ने सभी अधजले शवों को बोरे में भरकर गांव के पास स्थित जलकुंभी से भरे गड्ढे में फेंक दिया। इस घटना का एकमात्र चश्मदीद 16 वर्षीय सोनू कुमार था, जिसने किसी तरह अपनी जान बचाकर ननिहाल भागने में सफलता पाई।
पुलिस को सूचना और कार्रवाई
सोनू कुमार ने सुबह लगभग 5 बजे पुलिस को फोन कर इस हत्याकांड की जानकारी दी। उसने बताया कि इस जघन्य कांड में पूरा गांव शामिल है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी नकुल उरांव को हिरासत में लिया, जिसकी निशानदेही पर ट्रैक्टर मालिक सन्नाउल्लाह को भी गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने शवों को बरामद किया
पुलिस अधीक्षक स्वीटी सहरावत, एसडीपीओ पंकज कुमार शर्मा और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। एफएसएल टीम और डॉग स्क्वॉड को जांच में लगाया गया। पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से सभी शवों को गड्ढे से बरामद किया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। एसडीपीओ पंकज कुमार शर्मा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि मृतक परिवार झाड़फूंक का कार्य करता था और गांववालों को शक था कि सीता देवी डायन हैं। इसी अंधविश्वास के कारण पूरे परिवार को जिंदा जलाया गया।