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प्रधानमंत्री मोदी का छठ महापर्व को वैश्विक पहचान दिलाने का संकल्प

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में छठ महापर्व को यूनेस्को की सूची में शामिल कराने का संकल्प लिया। उन्होंने गांधी जयंती पर खादी और स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील की। इसके अलावा, उन्होंने नारी शक्ति के साहस और आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणादायक कहानियों की सराहना की। जानें इस कार्यक्रम में और क्या-क्या कहा गया।
 

मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री का संबोधन

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 126वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने भारत के प्रमुख त्योहार छठ को यूनेस्को की सूची में शामिल कराने के अपने संकल्प का उल्लेख किया। इसके साथ ही, उन्होंने गांधी जयंती पर खादी और स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील की। उन्होंने नारी शक्ति के अदम्य साहस और आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणादायक कहानियों की भी सराहना की।


पीएम मोदी ने खुशी व्यक्त की कि भारत सरकार छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा, "जब छठ पूजा को यूनेस्को की सूची में स्थान मिलेगा, तो दुनिया भर के लोग इसकी भव्यता और दिव्यता का अनुभव कर सकेंगे।" उन्होंने याद दिलाया कि हाल ही में कोलकाता की दुर्गा पूजा को भी यह वैश्विक सम्मान प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा कि छठ अब केवल भारत का त्योहार नहीं, बल्कि एक वैश्विक त्योहार बनता जा रहा है।


प्रधानमंत्री ने 'स्वर कोकिला' लता मंगेशकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि लता दीदी के देशभक्ति गीत आज भी प्रेरणा देते हैं और वह हर साल उन्हें राखी भेजना नहीं भूलती थीं। इसी संदर्भ में, उन्होंने 2 अक्टूबर, गांधी जयंती का उल्लेख करते हुए देशवासियों से 'स्वदेशी' और खादी को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "पिछले 11 वर्षों में खादी की बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि 2 अक्टूबर को कुछ न कुछ खादी उत्पाद अवश्य खरीदें और #VocalforLocal के साथ सोशल मीडिया पर गर्व से साझा करें।"


पीएम मोदी ने भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारियों, लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा की 'नाविका सागर परिक्रमा' के दौरान दिखाए गए साहस की प्रशंसा की। इसके अलावा, उन्होंने उन उद्यमियों की कहानियां साझा कीं जो परंपरा और नवाचार को मिलाकर आत्मनिर्भर भारत की नई गाथा लिख रहे हैं।


उन्होंने बताया कि कैसे अशोक जगदीसन और प्रेम सेल्वराज ने कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर केले के रेशों से योगा मैट बनाए और 200 परिवारों को रोजगार दिया। वहीं, आशीष सत्यव्रत साहू ने 'जोहरग्राम' ब्रांड के माध्यम से आदिवासी वस्त्रों को वैश्विक मंच पर पहुंचाया है, और मधुबनी की स्वीटी कुमारी ने मिथिला पेंटिंग के जरिए 500 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है।