प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा: एससीओ शिखर सम्मेलन में नई संभावनाएं
मोदी की ऐतिहासिक यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा करेंगे। यह यात्रा पिछले सात वर्षों में मोदी की पहली चीन यात्रा होगी। इस सम्मेलन की मेज़बानी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग करेंगे, जिसमें वैश्विक दक्षिण देशों की एकजुटता, रूस को कूटनीतिक समर्थन और बीजिंग के बढ़ते वैश्विक प्रभाव पर चर्चा की जाएगी।
विदेश मंत्रालय की पुष्टि
विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने बताया कि मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर को एससीओ के 25वें शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री द्विपक्षीय वार्ताएं भी करेंगे। सम्मेलन में शी जिनपिंग के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य नेताओं की उपस्थिति भी होगी।
भारत-चीन संबंधों में सुधार की उम्मीद
यह सम्मेलन भारत के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि 2020 के सीमा विवाद के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव कम करने के प्रयास जारी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस शिखर सम्मेलन में विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा हो सकती है, जैसे कि सैनिकों की वापसी और व्यापार में रुकावटों को कम करना। विश्लेषक एरिक ओलांडर का कहना है कि मोदी चीन के साथ बेहतर संबंध बनाने पर जोर देंगे।
वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य
एरिक ओलांडर ने कहा कि शी जिनपिंग इस सम्मेलन को अमेरिका के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की कमजोरी दिखाने का अवसर मानते हैं। चीन, ईरान, रूस और भारत जैसे देश मिलकर एक नई बहुपक्षीय व्यवस्था की दिशा में बढ़ रहे हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इसे एससीओ के इतिहास का सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन बताया है।
भारत-चीन द्विपक्षीय वार्ता की संभावना
पिछले पांच वर्षों में सीमा पर तनाव के बाद हाल ही में आई शांति और अमेरिका के दबाव के बीच, शी जिनपिंग और मोदी के बीच सकारात्मक बातचीत की उम्मीद है। सम्मेलन के बाद मोदी चीन से लौट जाएंगे, जबकि पुतिन कुछ दिनों तक बीजिंग में रहेंगे।
एससीओ के सदस्य देशों की जानकारी
एससीओ का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ना है। इस संगठन में भारत के अलावा चीन, रूस, पाकिस्तान, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, बेलारूस और ईरान शामिल हैं। भारत 2017 से पूर्ण सदस्य है और इससे पहले 2005 से पर्यवेक्षक रहा है।
चीन-रूस संबंध
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के साथ संबंधों को स्थिर और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बताया है। बीजिंग में रूसी संसद के निचले सदन के अध्यक्ष से मुलाकात के दौरान शी ने दोनों देशों के सहयोग को वैश्विक शांति का स्तंभ बताया।