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बांग्लादेश की जूट उद्योग पर भारत की निर्भरता और हालिया विवाद

बांग्लादेश की जूट उद्योग भारत पर निर्भर है, लेकिन हालिया व्यापारिक विवाद ने स्थिति को जटिल बना दिया है। भारत ने बांग्लादेश से तैयार जूट उत्पादों का आयात रोक दिया, जिसके जवाब में बांग्लादेश ने कच्चे जूट का निर्यात बंद कर दिया। इस स्थिति ने भारतीय मिलों को महंगी जूट पर स्विच करने के लिए मजबूर कर दिया है, जिससे लाखों श्रमिकों की नौकरियां खतरे में हैं। जानें इस जटिल मुद्दे के पीछे की वजहें और इसके संभावित परिणाम।
 

बांग्लादेश की जूट उद्योग की वास्तविकता

बांग्लादेश लगातार अपनी सीमाओं को लांघता जा रहा है। बहुत से लोग शायद नहीं जानते कि बांग्लादेश की जूट उद्योग पूरी तरह से भारत पर निर्भर है। जूट की खेती के लिए बांग्लादेश भारत से उच्च गुणवत्ता वाले, उच्च उपज देने वाले और रोग प्रतिरोधी बीजों का आयात करता है। भारत इन बीजों से उत्पन्न जूट को बड़े पैमाने पर वापस खरीदता है। यह एक बड़ा विरोधाभास है कि जिस हाथ से बीज खरीदे जाते हैं, उसी हाथ को काटने की कोशिश की जा रही है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा जूट उत्पादक है, जिसका वार्षिक उत्पादन 2 मिलियन टन है। भारतीय मिलें और फैक्ट्रियां बांग्लादेशी जूट पर निर्भर हो चुकी हैं। इसी निर्भरता का लाभ उठाते हुए, बांग्लादेश ने सितंबर 2025 में भारत के लिए कच्चे जूट का निर्यात रोक दिया।


भारत के फैसले का प्रतिशोध

यह कदम भारत के उस निर्णय का प्रतिशोध माना जा रहा है, जिसमें भारत ने बांग्लादेश से तैयार जूट उत्पादों का आयात बंद कर दिया था। असल में, बांग्लादेशी निर्माता भारत में जूट उत्पादों की अत्यधिक सस्ती दरों पर बिक्री कर रहे थे, जिससे भारतीय जूट उत्पादों का बाजार प्रभावित हो रहा था। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय मिलें घाटे में जा रही थीं और लाखों श्रमिकों की नौकरियां संकट में थीं। इस स्थिति में भारत को तैयार जूट उत्पादों पर रोक लगानी पड़ी। इसका मतलब है कि जब व्यापार के नाम पर हमला किया जाए, तो जवाब भी व्यापार के माध्यम से दिया जाता है।


महंगी भारतीय जूट पर स्विच

बांग्लादेश से कच्चे जूट की आपूर्ति बंद होने के बाद, भारतीय मिलों को महंगी भारतीय जूट पर स्विच करना पड़ा, जिससे उत्पादन लागत कई गुना बढ़ गई। कई फैक्ट्रियों में उत्पादन में कमी आई, जिससे लाखों जूट श्रमिकों की नौकरियां खतरे में पड़ गईं। हालांकि, यह भी सच है कि यह आपूर्ति केवल अल्पकालिक रूप से रुकी है। दीर्घकालिक में, उद्योग भारतीय जूट पर शिफ्ट हो जाएगा। भारत बांग्लादेश से अधिक जूट का उत्पादन करता है और बेहतर तकनीक रखता है, तो फिर भारत बांग्लादेशी कीमतों से मेल क्यों नहीं खा रहा है? यह सब सब्सिडी और नीतियों का खेल है। बांग्लादेश सरकार जूट किसानों को भारी सब्सिडी देती है और लॉजिस्टिक्स में छूट प्रदान करती है। भारत का मानना है कि केवल जूट बीज नहीं, बल्कि उन सभी महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं पर कार्रवाई करनी चाहिए जो बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को चलाती हैं।