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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन

बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन मंगलवार सुबह ढाका में हुआ। 80 वर्षीय जिया पिछले 20 दिनों से वेंटिलेटर पर थीं और कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं। उनके राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, जिसमें 1971 का मुक्ति संग्राम और शेख हसीना की सरकार के साथ टकराव शामिल हैं। जानें उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और राजनीतिक सफर के बारे में।
 

खालिदा जिया का निधन

ढाका/नई दिल्ली। बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की नेता खालिदा जिया का निधन मंगलवार सुबह छह बजे ढाका में हुआ। उनकी उम्र 80 वर्ष थी और वे पिछले लगभग 20 दिनों से वेंटिलेटर पर थीं। खालिदा जिया कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं, जिनमें सीने में संक्रमण, लिवर, किडनी, डायबिटीज, गठिया और आंखों की बीमारियां शामिल थीं। उन्हें इलाज के लिए लंदन ले जाने की योजना थी, लेकिन समय पर एयर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होने के कारण यह संभव नहीं हो सका, और उनकी स्थिति इतनी बिगड़ गई कि वे यात्रा करने के लिए सक्षम नहीं रहीं।


खालिदा जिया ने 1991 से 1996 और फिर 2001 से 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी थीं। उनके बीमार होने के बाद से उनके बेटे तारिक रहमान ने 2018 से पार्टी का कार्यभार संभाला, हालांकि वे कानूनी मामलों के कारण लंदन में रह रहे थे। हाल ही में, 25 दिसंबर को, वे 17 साल बाद लंदन से लौटे थे।


खालिदा जिया का राजनीतिक जीवन कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा। 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने उन्हें नजरबंद कर दिया था, और वे जुलाई से दिसंबर तक उनकी कैद में रहीं। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की हार के बाद उन्हें रिहा किया गया। उनके राजनीतिक करियर में कई बार टकराव, आंदोलन और हमले हुए। शेख हसीना की सरकार ने उन पर कई मुकदमे भी दायर किए, जिसके कारण वे लंबे समय तक नजरबंद रहीं। 2015 में ढाका में मेयर चुनाव के प्रचार के दौरान उनके काफिले पर हमले हुए, जिसमें वे बाल-बाल बचीं। प्रधानमंत्री रहते हुए और उसके बाद भी उनका रुख भारत के प्रति विरोधी रहा। 12 फरवरी को होने वाले आम चुनाव में उनकी पार्टी एक प्रमुख ताकत के रूप में प्रतिस्पर्धा करेगी।