बिहार की महिला रोजगार योजना में हुई बड़ी चूक, दिव्यांगों के खातों में गई राशि
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना में गलती
पटना: बिहार की प्रमुख मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के संबंध में सरकार को एक गंभीर गलती स्वीकार करनी पड़ी है। इस योजना के तहत महिलाओं को दिए जाने वाले ₹10,000 की पहली किस्त गलती से 470 दिव्यांग पुरुषों के खातों में चली गई।
सरकार की सफाई और राजनीतिक प्रतिक्रिया
विपक्ष के दबाव और आरोपों के चलते सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस राशि की वसूली के लिए किसी भी लाभार्थी पर कोई दबाव नहीं डाला जाएगा। इस स्पष्टीकरण के बाद राजनीतिक बहस और भी तेज हो गई है।
महिला रोजगार योजना में तकनीकी चूक
महिला रोजगार योजना के शुरू होने के दो महीने के भीतर यह पता चला कि 470 दिव्यांग पुरुषों को गलती से ₹10,000 की राशि मिल गई। यह योजना विशेष रूप से महिलाओं के लिए बनाई गई थी, जिसका उद्देश्य उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करना था। यह भुगतान बिहार सरकार की स्वयं सहायता समूह योजना 'जीविका' के तहत किया गया था, जहां डेटा मिलान में यह चूक सामने आई।
सरकार का राहत भरा स्पष्टीकरण
बिहार सरकार ने स्पष्ट किया है कि गलत तरीके से राशि प्राप्त करने वाले व्यक्तियों से कोई जबरदस्ती वसूली नहीं की जाएगी। जीविका के सीईओ हिमांशु पांडेय ने कहा कि इतनी बड़ी योजना में कुछ तकनीकी गलतियाँ हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि पुरुष लाभार्थियों को यह विकल्प दिया गया है कि वे राशि को अपने परिवार की महिला सदस्य के खाते में समायोजित करवा सकते हैं।
लाभार्थियों की चिंताएँ
गलती से राशि प्राप्त करने वाले कई व्यक्तियों ने शुरुआत में डर और घबराहट की बात की। दरभंगा के नागेंद्र राम ने बताया कि पहले उन्हें लगा कि उन्हें पैसा वापस करना पड़ेगा। बाद में अधिकारियों ने समझाया कि परिवार की महिला सदस्य आवेदन कर सकती है, जिससे उन्हें राहत मिली। बलराम सहनी ने भी कहा कि उन्हें लगा था कि पैसा सही तरीके से उनके खाते में आया है।
विपक्ष के गंभीर सवाल
इस मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने आरोप लगाया कि चुनावी दबाव में बिना सही जांच के पैसा बांटा गया। उनका कहना है कि यह योजना जल्दबाजी में लागू की गई, जिससे गरीब लोगों को नोटिस मिलने की आशंका पैदा हुई और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे।
चुनावी योजना का राजनीतिक प्रभाव
'दसहजारी योजना' के नाम से जानी जाने वाली यह योजना चुनाव के दौरान काफी लोकप्रिय रही। माना जाता है कि इस योजना ने एनडीए को विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 243 सदस्यीय सदन में 202 सीटें जीतने के पीछे इस योजना को एक बड़ा कारण बताया गया। अब इस चूक ने योजना की पारदर्शिता पर नई बहस छेड़ दी है।