बिहार में चुनाव आयोग की मसौदा मतदाता सूची: रहस्यों का जाल
मतदाता सूची का मसौदा जारी
बिहार में चुनाव आयोग ने हाल ही में मसौदा मतदाता सूची का प्रकाशन किया है, और इस पर दावे व आपत्तियों की प्रक्रिया चल रही है। आयोग ने इस कार्य के लिए एक महीने का समय निर्धारित किया है। इसके साथ ही, आयोग ने अपने अधिकारियों को नियुक्त किया है ताकि वे उन मतदाताओं की सहायता कर सकें, जिनके पास आवश्यक 11 दस्तावेजों में से कोई भी नहीं है। चुनाव आयोग के अधिकारी मतदाताओं को आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करने में मदद करेंगे।
बूथ लेवल अधिकारियों की भूमिका
बूथ लेवल अधिकारी भी इस प्रक्रिया में सक्रिय हैं, जिनका वार्षिक मानदेय चुनाव आयोग ने 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये कर दिया है। इसके अलावा, राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) भी अलग से कार्य कर रहे हैं। हालांकि, मसौदा मतदाता सूची से जुड़े कई सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं, और चुनाव आयोग इस पर कोई स्पष्टता नहीं दे रहा है।
मतदाता सूची में नामों की कटौती
एक बड़ा सवाल यह है कि क्या कुल 66 लाख नाम ही मतदाता सूची से हटेंगे, या एक सितंबर को अंतिम सूची में और भी नाम कट सकते हैं? आयोग ने 7 करोड़ 24 लाख लोगों की मसौदा सूची जारी की है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इनमें से किसी का नाम नहीं कटेगा। आयोग बार-बार लोगों को सूचित कर रहा है कि वे अपनी स्थिति कैसे जांच सकते हैं, लेकिन जिनके नाम सूची में हैं, उन्हें कोई कार्रवाई करने के लिए नहीं कहा गया है।
दस्तावेजों की कमी का मुद्दा
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि संदिग्ध मतदाता नाम की कोई श्रेणी नहीं है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि एक श्रेणी 'नॉट रिकमेंडेड बाई द बूथ लेवल ऑफिसर' हो सकती है। ऐसे लोग जिनके दस्तावेजों में कमी है, उनके नाम कट सकते हैं। सवाल यह है कि आयोग इस बारे में प्रचार क्यों नहीं कर रहा है।
मृत्यु और स्थायी प्रवासन के आधार पर कटौती
मतदाता सूची में जिन व्यक्तियों का निधन हो चुका है या जो स्थायी रूप से अन्य स्थानों पर चले गए हैं, उनके नाम कटने की संभावना है। यदि 66 लाख नाम इन आधारों पर कटते हैं, तो यह तार्किक प्रतीत होता है। लेकिन क्या बिहार में 7 करोड़ 24 लाख लोगों के पास आवश्यक दस्तावेज हैं, यह एक बड़ा सवाल है।
आधार कार्ड की स्थिति
चुनाव आयोग ने आधार कार्ड को दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया है, जबकि जमीनी रिपोर्टों के अनुसार, बूथ लेवल अधिकारियों ने आधार कार्ड को स्वीकार किया है। यह स्थिति सवाल उठाती है कि यदि आयोग आधार कार्ड को मान्यता नहीं देता है, तो क्या ऐसे लोगों का नाम मतदाता सूची से कट जाएगा?
घुसपैठियों का मुद्दा
मीडिया में यह चर्चा थी कि बड़ी संख्या में घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची में पाए गए हैं। सवाल यह है कि इन लोगों के नाम किस श्रेणी में डाले गए हैं। यदि विदेशी घुसपैठियों के नाम सूची में हैं, तो निश्चित रूप से उनके पास वैध दस्तावेज नहीं होंगे।
आगे की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को संदिग्ध नागरिकों की सूचना देने का आश्वासन दिया था, लेकिन इस मामले में कोई स्पष्टता नहीं है। एक सितंबर को जब अंतिम सूची जारी होगी, तब यह स्पष्ट होगा कि असल में क्या हुआ।