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बिहार में नीतीश कुमार की नई कैबिनेट: परिवारवाद का खुलासा

बिहार में नीतीश कुमार ने अपनी नई कैबिनेट का गठन किया है, जिसमें परिवारवाद के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। इस कैबिनेट में कई मंत्री ऐसे हैं जो नेताओं के परिवार से जुड़े हुए हैं। जानें कौन-कौन से नेता इस विवाद में शामिल हैं और कैसे यह परिवारवाद की राजनीति को उजागर करता है।
 

नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में परिवारवाद का बोलबाला


बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद, नीतीश कुमार ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, जबकि उनकी कैबिनेट के 26 सदस्यों ने भी मंत्री पद की शपथ ग्रहण की। विपक्ष, विशेषकर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने इस नए मंत्रीमंडल में परिवारवाद के आरोप लगाए हैं।


नीतीश कुमार की कैबिनेट के गठन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक कार्यकर्ता केवल पार्टी के लिए नारे लगाने और भीड़ जुटाने का काम करते हैं, जबकि टिकट और पद केवल शीर्ष नेताओं और उनके परिवार के सदस्यों के लिए आरक्षित होते हैं।


नीतीश कुमार का यह मंत्रीमंडल परिवारवाद का एक स्पष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। इसमें कई मंत्री ऐसे हैं जो किसी नेता के परिवार से जुड़े हुए हैं।


इस सूची में दीपक प्रकाश का नाम सबसे पहले आता है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पहले अपनी पत्नी को टिकट दिया और अब अपने बेटे दीपक को मंत्री बनाने की योजना बनाई है।


दीपक अभी विधायक नहीं हैं, इसलिए यह संभावना जताई जा रही है कि उन्हें विधान परिषद के माध्यम से विधानसभा में पहुंचाया जाएगा। उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता सासाराम से विधायक चुनी गई हैं।


संतोष कुमार सुमन: ये केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के बेटे हैं और एक बार फिर नीतीश कैबिनेट में शामिल हुए हैं।


श्रेयसी सिंह: पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की बेटी हैं और जमुई से विधायक चुनी गई हैं। उन्हें भी नीतीश कैबिनेट में स्थान मिला है।


रमा निषाद: इनके पति अजय निषाद मुजफ्फरपुर से सांसद रह चुके हैं। रमा ने औराई से जीत हासिल की और आज उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली।


परिवारवाद में मांझी का दबदबा


जीतनराम मांझी ने परिवारवाद के मामले में प्रमुखता हासिल की है। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को टिकट दिए हैं। उनके परिवार के सदस्यों ने चुनावों में जीत हासिल की है। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 6 सीटें मिलीं, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी को टिकट दिया।


इसके अलावा, सम्राट चौधरी, नीतीश मिश्रा और श्रेयसी सिंह जैसे 11 विधायक भी परिवारवाद की राजनीति से जुड़े हुए हैं। जेडीयू के अनंत सिंह, ऋतुराज कुमार और चेतन आनंद जैसे बड़े नाम भी इसी पृष्ठभूमि से आते हैं।