×

बिहार में बीजेपी विधायक दल की पहली बैठक के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति

भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में नवनिर्वाचित विधायक दल की पहली बैठक के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। बैठक 19 नवंबर को पटना में होगी, जहां विधायक दल का नेता चुना जाएगा। केशव प्रसाद मौर्य को मुख्य पर्यवेक्षक बनाया गया है, जो बिहार में ओबीसी वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा हैं। इस बैठक में सभी नवनिर्वाचित विधायकों की उपस्थिति अनिवार्य होगी, और यह निर्णय बिहार की अगली सरकार के स्वरूप को निर्धारित करेगा। जानें इस महत्वपूर्ण बैठक के बारे में और क्या हो सकते हैं संभावित निर्णय।
 

बीजेपी की महत्वपूर्ण बैठक की तैयारी


पटना: भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में अपने नवनिर्वाचित विधायक दल की पहली महत्वपूर्ण बैठक के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को मुख्य पर्यवेक्षक के रूप में चुना है, जबकि केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और अर्जुन राम मेघवाल सह-पर्यवेक्षक की भूमिका निभाएंगे।


बैठक का समय और स्थान

यह बैठक 19 नवंबर (बुधवार) को सुबह 10 बजे पटना के प्रदेश कार्यालय में आयोजित की जाएगी। इस बैठक में बिहार बीजेपी विधायक दल का नेता (भावी मुख्यमंत्री) चुना जाएगा, साथ ही उपनेता और अन्य पदों पर भी निर्णय लिया जाएगा।


केशव प्रसाद मौर्य का बिहार से संबंध

केशव प्रसाद मौर्य का बिहार से गहरा संबंध है। हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव-2025 में वे बीजेपी के सह-प्रभारी रहे और पार्टी के प्रमुख प्रचारकों में शामिल थे। उत्तर प्रदेश में कुर्मी समाज के प्रमुख नेता के रूप में जाने जाने वाले मौर्य की नियुक्ति को बिहार में गैर-यादव ओबीसी वोट बैंक को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।


साध्वी निरंजन ज्योति की भूमिका

साध्वी निरंजन ज्योति उत्तर प्रदेश से हैं और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री का पद संभालती हैं, जबकि अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान के वरिष्ठ नेता हैं और केंद्र में कानून एवं न्याय राज्य मंत्री का कार्यभार संभाल रहे हैं। इन तीनों नेताओं की तिकड़ी यह दर्शाती है कि पार्टी बिहार में जातीय समीकरणों और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रख रही है।


मुख्यमंत्री पद का दावा

एनडीए में सीटों के मामले में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, इसलिए मुख्यमंत्री पद पर उसका दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है। हालांकि, नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया है और गठबंधन सहयोगियों के बीच अंतिम निर्णय अभी बाकी है। पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में होने वाली यह बैठक बिहार की अगली सरकार के स्वरूप को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण साबित होगी।


बैठक की अनिवार्यता

सूत्रों के अनुसार, बैठक में सभी नवनिर्वाचित विधायकों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। इसके बाद चुने गए नेता के साथ एनडीए के सभी घटक दल औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगाएंगे और फिर राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।


बिहार की सियासत में महत्वपूर्ण समय

बिहार की राजनीति में अगले 24-48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण हैं। 19 नवंबर की सुबह पटना में जो निर्णय होगा, वही तय करेगा कि आने वाले पांच वर्षों के लिए बिहार की कमान किसके हाथ में होगी।