बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बाहुबली नेताओं की जीत और हार का विश्लेषण
बिहार विधानसभा चुनाव में बाहुबली नेताओं का दबदबा
बिहार: इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में बाहुबली नेताओं और उनके परिवारों का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा गया। मोकामा के बाहुबली नेता अनंत सिंह, जिन्हें चुनाव प्रचार के दौरान एक हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था, ने जेल में रहते हुए भी छठी बार जीत हासिल की। यह उनका लगातार तीसरा चुनाव है, जिसे उन्होंने जेल से लड़कर जीता। 'छोटे सरकार' के नाम से मशहूर अनंत सिंह ने RJD की वीणा देवी को 28,206 वोटों से हराया।
अनंत सिंह अकेले ऐसे बाहुबली नहीं थे जिन्होंने इस चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत किया। कई अन्य बाहुबली नेताओं और उनके परिवारों ने भी जीत दर्ज की, जबकि कुछ प्रमुख नामों को हार का सामना करना पड़ा। आइए जानते हैं इस चुनाव में बाहुबलियों का पूरा रिपोर्ट कार्ड।
किसकी चमकी किस्मत?
- अनंत सिंह (JD(U), मोकामा): लगातार छठी बार जीत, RJD उम्मीदवार को 28,206 वोटों से हराया।
- राधा चरण सेठ (JD(U), संदेश): इस चुनाव की सबसे कांटे की टक्कर, सिर्फ 27 वोटों से जीत!
- बोगो सिंह (RJD, मटिहानी): JD(U) प्रत्याशी को 5,290 वोटों से हराया।
- विशाल प्रशांत (BJP, तरारी): बाहुबली सुनील पांडे के बेटे, 10,659 वोटों से जीत।
- ओसामा शहाब (RJD, रघुनाथपुर): दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे, 9,248 वोटों से विजयी।
- केदार नाथ सिंह (BJP, बनियापुर): प्रभुनाथ सिंह के भाई, 15,436 वोटों के अंतर से जीते।
- चेतन आनंद (JD(U), नवीनगर): आनंद मोहन के बेटे, सिर्फ 112 वोटों से जीत पाई।
- अनिता (RJD, वारसलीगंज): आशोक महतो की पत्नी, 7,543 वोटों से विजयी।
किन बड़े नामों को मिली करारी हार?
- रीत लाल रॉय (RJD, दानापुर): BJP के राम कृपाल यादव से 29,188 वोटों से हार।
- कर्णवीर सिंह यादव (RJD, बाढ़): BJP के सियाराम सिंह से 24,813 वोटों से पराजित।
- हुलास पांडे (LJP–RV, ब्रह्मपुर): सुनील पांडे के भाई, 3,220 वोटों से हार।
- बिमला भारती (RJD, रूपौली): इस चुनाव की सबसे बड़ी हार, 73,572 वोटों के अंतर से।
- शिवानी शुक्ला (RJD, लालगंज): मुन्ना शुक्ला की बेटी, 32,167 वोटों से पराजित।
बिहार चुनाव के नतीजों का विश्लेषण
बिहार चुनाव के परिणामों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि राज्य की राजनीति में बाहुबली नेताओं का प्रभाव अब भी काफी मजबूत है। कुछ हारों के बावजूद, कई प्रमुख नामों और उनके परिवारों ने प्रभावशाली जीत हासिल की, जिसमें जेल में बंद नेताओं ने भी अपनी स्थिति को बनाए रखा।