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बिहार विधानसभा चुनाव: महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर वाम दलों की मांगें

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। वामपंथी दलों ने 35 सीटों की मांग की है, जबकि राजद खुद बड़ी संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। इस स्थिति में छोटे दलों की भागीदारी और सीट बंटवारे की जटिलताएँ गठबंधन की एकता और चुनावी रणनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी। जानें इस मुद्दे पर और क्या चल रहा है।
 

महागठबंधन में सीट बंटवारे का विवाद

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की आधिकारिक घोषणा से पहले महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। वामपंथी दलों, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (माकपा) ने 35 सीटों की मांग की है। भाकपा ने 24 और माकपा ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। दोनों दलों ने एक संयुक्त सम्मेलन में यह मांग रखी है।


सीट बंटवारे में देरी पर असंतोष

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, दोनों दलों ने सीट बंटवारे की घोषणा में हो रही देरी पर नाराजगी व्यक्त की। नेताओं का कहना है कि यह देरी महागठबंधन की एकता पर सवाल उठाती है और कार्यकर्ताओं में भ्रम पैदा कर रही है। उन्होंने आशा जताई कि महागठबंधन की प्रमुख पार्टियाँ, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस, छोटे दलों के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाएंगी और उन्हें उचित सीटें देंगी। भाकपा के राज्य सचिव राम नरेश पांडे ने कहा कि बड़ी पार्टियों को छोटे सहयोगियों के लिए कुछ सीटों का त्याग करना चाहिए, जिससे गठबंधन मजबूत हो सके।


पिछले चुनावों का संदर्भ

वाम दलों ने अपनी मांग के समर्थन में 2020 के विधानसभा चुनावों के परिणामों का हवाला दिया। उस चुनाव में भाकपा ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा और दो सीटें जीतीं, जबकि माकपा ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा और दो पर विजय प्राप्त की। भाकपा-माले ने 19 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 12 सीटों पर जीत हासिल की। इन परिणामों के आधार पर वाम दलों का तर्क है कि उनकी जमीनी पकड़ और संगठनात्मक मजबूती गठबंधन को चुनावी लाभ दिला सकती है।


राजद की स्थिति

महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद खुद बड़ी संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। सूत्रों के अनुसार, राजद का लक्ष्य लगभग 150 सीटों पर चुनाव लड़ना है। यदि ऐसा होता है, तो शेष 93 सीटों का बंटवारा अन्य सहयोगियों में करना होगा, जिससे असंतोष बढ़ सकता है। पिछले महीने राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी संकेत दिया था कि उनकी पार्टी अधिकतर सीटों पर चुनाव लड़ेगी।


गठबंधन की चुनौतियाँ

महागठबंधन में वाम दलों के अलावा अन्य छोटे दल भी सक्रिय हैं, जैसे मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी)। इन दलों के जुड़ने से सीट बंटवारे का गणित और जटिल हो गया है। चुनाव नज़दीक आते ही यह तय करना कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा, गठबंधन की एकजुटता और चुनावी रणनीति के लिए महत्वपूर्ण होगा।