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ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मोदी का संदेश: भारत की अध्यक्षता में नया दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत की अध्यक्षता के दौरान नए दृष्टिकोण और जलवायु न्याय पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स को सहयोग और स्थिरता का प्रतीक बनाना होगा। मोदी ने विकासशील देशों को आत्मबल देने की बात की और बताया कि जलवायु परिवर्तन एक नैतिक जिम्मेदारी है। सम्मेलन में ब्रिक्स के विस्तार की भी चर्चा हुई, जिसमें नए देशों का शामिल होना शामिल है। जानें इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के बारे में और अधिक जानकारी।
 

ब्रिक्स का नया स्वरूप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के तटीय शहर में आयोजित दो दिवसीय ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अपने भाषण में बताया कि भारत की अगली अध्यक्षता के दौरान ब्रिक्स को एक नए रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम ब्रिक्स को सहयोग और स्थिरता के प्रतीक के रूप में लचीलापन और नवाचार के साथ स्थापित करेंगे।" उनका उद्देश्य इस मंच को और अधिक प्रभावी और प्रासंगिक बनाना है।


स्वास्थ्य और पर्यावरण का संबंध

ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पर्यावरण और वैश्विक स्वास्थ्य पर एक सत्र में, प्रधानमंत्री मोदी ने पृथ्वी और मानव स्वास्थ्य के बीच गहरे संबंध को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने हमें यह सिखाया है कि वायरस वीजा के बिना आते हैं और समाधान पासपोर्ट देखकर नहीं मिलते। इसलिए, हमें हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए और वैश्विक स्तर पर एकजुटता दिखानी चाहिए।


जलवायु न्याय का महत्व

प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन में भारत की भूमिका को स्पष्ट करते हुए कहा कि जलवायु न्याय केवल एक वैकल्पिक नीति नहीं है, बल्कि यह एक नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि जहां कुछ देश जलवायु परिवर्तन को आंकड़ों में मापते हैं, वहीं भारत इसे मूल्यों और जीवनशैली के रूप में अपनाता है।


विकासशील देशों का आत्मबल

मोदी ने विकासशील देशों को आत्मविश्वास का संदेश देते हुए कहा कि जैसे विकसित देशों में भविष्य के प्रति विश्वास है, वैसा ही आत्मबल विकासशील देशों में भी होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स जैसे मंच को विकासशील देशों की आवाज़ को सशक्त बनाना चाहिए।


ब्रिक्स का विस्तार

2024 में ब्रिक्स समूह में मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल किया गया है, और 2025 में इंडोनेशिया भी इस समूह का हिस्सा बनेगा। इससे यह समूह अब 11 देशों तक फैल गया है, जो विश्व की लगभग आधी जनसंख्या (49.5%) का प्रतिनिधित्व करता है और वैश्विक GDP में इसकी हिस्सेदारी 40% से अधिक हो चुकी है।