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भारत-अमेरिका संबंधों में नई हलचल: आसियान शिखर सम्मेलन की तैयारी

भारत और अमेरिका के बीच हाल के समय में संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं, जिसमें व्यापारिक टैरिफ विवाद और रूस-यूक्रेन युद्ध शामिल हैं। अब, आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की संभावित मुलाकात पर सभी की निगाहें हैं। क्या यह मुलाकात दोनों देशों के रिश्तों में नया मोड़ लाएगी? जानें इस महत्वपूर्ण बैठक के संभावित प्रभावों के बारे में।
 

भारत और अमेरिका के रिश्तों में उतार-चढ़ाव

हाल के समय में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। व्यापारिक टैरिफ विवाद और रूस-यूक्रेन युद्ध पर भिन्न दृष्टिकोण के कारण दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़े हैं, लेकिन कूटनीतिक संवाद के माध्यम से इन रिश्तों को सुधारने की कोशिशें जारी हैं। अब, अक्टूबर के अंत में मलेशिया में होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की संभावित मुलाकात को लेकर चर्चा तेज हो गई है.


टैरिफ और व्यापारिक तनाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और बढ़ गया। इसके साथ ही, अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर भारत की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। ऊर्जा क्षेत्र में भारत की रूस से तेल खरीद पर भी अमेरिका ने नाराजगी जताई है, और ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यह वैश्विक प्रयासों को कमजोर करता है, जिनका उद्देश्य यूक्रेन युद्ध का अंत करना है.


भारत पर अमेरिकी आलोचना

ट्रंप प्रशासन के कुछ करीबी सहयोगियों ने भी भारत पर तीखे हमले किए हैं। व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध 'मोदी का युद्ध' है और भारत अपनी रिफाइनरियों के माध्यम से 'रशियन ऑयल लॉन्ड्रोमैट' बन गया है। इन टिप्पणियों ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है.


नरमी के संकेत

हालांकि, इस सख्त रुख के बीच कुछ नरमी भी देखने को मिली है। दोनों देशों ने व्यापार वार्ता जारी रखने की बात की है, और ट्रंप ने हाल ही में पीएम मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उनके साथ व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि उनके पीएम मोदी के साथ 'बेहतरीन रिश्ते' हैं और भारत-अमेरिका की साझेदारी उनके लिए 'बहुत खास' है.


वैश्विक मंच पर सहयोग

भारत और अमेरिका के बीच संवाद केवल द्विपक्षीय नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रभाव डाल रहा है। हाल ही में, पीएम मोदी ने ट्रंप की 20-सूत्रीय गाजा शांति योजना का समर्थन किया, जिसमें युद्धविराम, कैदियों की अदला-बदली और अंतरराष्ट्रीय निगरानी में संक्रमणकालीन सरकार का प्रस्ताव शामिल था। मोदी ने इसे 'टिकाऊ शांति और विकास का रास्ता' बताया, और ट्रंप ने भी मोदी की पोस्ट को साझा कर कूटनीतिक तालमेल का संकेत दिया.


आसियान शिखर सम्मेलन की प्रतीक्षा

अब मलेशिया में होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन पर सभी की निगाहें हैं। यदि ट्रंप इसमें भाग लेते हैं और पीएम मोदी से आमने-सामने मिलते हैं, तो यह बैठक दोनों देशों के रिश्तों में एक नया मोड़ साबित हो सकती है। यह मुलाकात न केवल व्यापार विवादों को सुलझाने का एक मंच बनेगी, बल्कि रूस-यूक्रेन और गाजा संकट जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी भारत और अमेरिका की भूमिका को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.