भारत और NATO के बीच विवाद: विदेश मंत्रालय का स्पष्टीकरण
भारत और NATO विवाद पर विदेश मंत्रालय का बयान
भारत NATO विवाद: विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि उन्होंने NATO महासचिव के उस बयान को देखा है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच कथित बातचीत का उल्लेख किया गया है। यह दावा पूरी तरह से गलत और निराधार है। ऐसी कोई बातचीत कभी नहीं हुई।
मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को सलाह दी है कि उन्हें सार्वजनिक मंचों पर अधिक जिम्मेदारी और सटीकता से बयान देना चाहिए। MEA ने यह भी स्पष्ट किया कि अनुमानित या लापरवाह बयान, जो प्रधानमंत्री की मुलाकातों और संवाद को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं, अस्वीकार्य हैं।
NATO प्रमुख का दावा
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान CNN से बातचीत में मार्क रुट्टे ने कहा कि "दिल्ली लगातार मास्को से बातचीत कर रहा है और प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन से रूस की यूक्रेन रणनीति पर सवाल किए हैं।" रुट्टे ने यह भी कहा कि भारत ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ पर चिंता जताई थी, क्योंकि इससे भारत और रूस दोनों प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा था कि "भारत पर ट्रंप के टैरिफ का गहरा असर पड़ा है और इसका प्रभाव रूस पर भी देखने को मिल रहा है।"
भारत-अमेरिका टैरिफ विवाद
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50% तक आयात शुल्क बढ़ा दिया है। वाशिंगटन का कहना है कि यह कदम रूस पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि भारत बड़ी मात्रा में रूसी कच्चा तेल खरीद रहा है। वहीं, भारत ने इस फैसले को "अनुचित और अन्यायपूर्ण" बताया है।
हालांकि भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ घटाने को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन विवाद अभी तक सुलझा नहीं है। विदेश मंत्रालय ने दोहराया कि भारत की ऊर्जा नीति हमेशा राष्ट्रीय हित से जुड़ी रही है। MEA ने कहा, "भारत का तेल आयात हमारी जनता को सस्ती और भरोसेमंद ऊर्जा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से होता है। हम राष्ट्रीय हित और आर्थिक सुरक्षा को सुरक्षित रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाते रहेंगे।"