भारत और अमेरिका का ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन: NISAR सैटेलाइट का प्रक्षेपण
भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष साझेदारी का नया अध्याय
भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष सहयोग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंचने वाला है, जब ISRO और NASA द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया पृथ्वी निगरानी सैटेलाइट NISAR लॉन्च किया जाएगा। यह प्रक्षेपण बुधवार को शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा। इसे ISRO के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV-F16) द्वारा सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में भेजा जाएगा।
NISAR मिशन की विशेषताएँ
NISAR सैटेलाइट, जिसकी लागत लगभग 1.5 अरब डॉलर है, को NASA और ISRO ने मिलकर डिजाइन किया है। यह सैटेलाइट पृथ्वी की सतह पर होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखेगा। इसमें अत्याधुनिक 'सिंथेटिक एपरचर रडार' तकनीक का उपयोग किया गया है, जो भूकंप, ग्लेशियरों के पिघलने, झीलों के फटने, जलवायु परिवर्तन और कार्बन अवशोषण जैसी प्रक्रियाओं को मापने में सक्षम है।
NASA और ISRO का सहयोग
इस सैटेलाइट के दो प्रमुख उपकरणों में से एक NASA द्वारा विकसित किया गया है, जबकि दूसरा ISRO ने बनाया है। सैटेलाइट की संरचना और प्रक्षेपण यान पूरी तरह से भारत में विकसित किया गया है। ISRO के प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने बताया कि यह मिशन 'शक्ति शक्ति का सम्मान करती है' की भावना को दर्शाता है, जिसमें दोनों देशों की तकनीकी क्षमताएं एक साथ आई हैं।
तकनीकी सहयोग का प्रतीक
यह मिशन कैलिफोर्निया के कैलटेक पासाडेना और भारत के बेंगलुरु में संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। यह अंतरिक्ष विज्ञान में लोकतांत्रिक सहयोग और तकनीकी नेतृत्व का प्रतीक है। NASA-ISRO की यह साझेदारी पिछले एक दशक से चल रही है और इस मिशन को हाल ही में अमेरिका और भारत के शीर्ष नेताओं की मुलाकात के बाद गति मिली।
NISAR से होने वाले लाभ
NISAR सैटेलाइट वैज्ञानिकों को पृथ्वी पर हो रहे प्राकृतिक परिवर्तनों को समय पर समझने और आपदाओं की पूर्व चेतावनी देने में मदद करेगा। इससे जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक समझ को बढ़ाएगा, बल्कि पृथ्वी की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
ISRO-NASA की साझेदारी का महत्व
ISRO और NASA की साझेदारी से बना यह अत्याधुनिक मिशन तकनीकी उत्कृष्टता का एक उदाहरण है और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की तैयारी भी है। जब यह सैटेलाइट अपनी यात्रा शुरू करेगा, तो पूरी दुनिया उसकी आंखों से धरती को और बेहतर तरीके से देख सकेगी।