भारत और अमेरिका के बीच मिनी ट्रेड डील अंतिम चरण में
भारत और अमेरिका के व्यापार संबंधों में नई दिशा
भारत और अमेरिका, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण भागीदार हैं, ने अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। इस संदर्भ में, दोनों देशों के बीच एक मिनी ट्रेड डील अब अंतिम चरण में पहुँच चुकी है। यह समझौता अगले 48 घंटों में पूरा होने की संभावना है और यह भविष्य में बड़े व्यापारिक समझौते की आधारशिला रखेगा।
सीमित व्यापार समझौते की रूपरेखा
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस सीमित व्यापार समझौते में औसतन 10% टैरिफ बनाए रखने पर सहमति बनी है। इसे व्यापक और स्थायी व्यापार वार्ताओं की शुरुआत माना जा रहा है। यह डील सीमित दायरे की होगी, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापारिक बाधाओं को धीरे-धीरे समाप्त करना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते की रूपरेखा लगभग तैयार है और अब केवल अंतिम स्वीकृति का इंतजार है।
BTA की वार्ताएं 9 जुलाई के बाद शुरू हो सकती हैं
9 जुलाई के बाद शुरू हो सकती है BTA की बात
मिनी ट्रेड डील के बाद, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर औपचारिक वार्ताएं 9 जुलाई के बाद शुरू हो सकती हैं। यह संभावित BTA, दोनों देशों के बीच व्यापार को और अधिक व्यापक और संतुलित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस मिनी डील में किन उत्पादों या सेवाओं को शामिल किया गया है, लेकिन विशेषज्ञ इसे 'बड़ी डील की शुरुआत' मानते हैं।
अमेरिका अन्य देशों के साथ भी व्यापारिक समझौतों के करीब
अमेरिका अन्य देशों के साथ भी डील के करीब
इस बीच, अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि अमेरिका कई अन्य व्यापारिक समझौतों के भी निकट है। उन्होंने CNN के 'State of the Union' कार्यक्रम में बताया कि 9 जुलाई की समयसीमा से पहले कई महत्वपूर्ण समझौते घोषित किए जा सकते हैं। इस तारीख के बाद कुछ देशों के लिए उच्च टैरिफ दरें लागू हो सकती हैं, जिन्हें पहले 2 अप्रैल को निर्धारित किया गया था लेकिन फिलहाल निलंबित हैं।
ट्रंप प्रशासन का नया कदम
ट्रंप प्रशासन 100 देशों को भेजेगा पत्र
स्कॉट बेसेंट ने बताया कि अमेरिका उन 100 छोटे देशों को पत्र भेजने की योजना बना रहा है जिनके साथ अमेरिका का व्यापारिक संबंध कमजोर है। इन पत्रों में यह चेतावनी दी जाएगी कि यदि वे व्यापारिक मामलों में प्रगति नहीं करते, तो 1 अगस्त से उनके लिए फिर से 2 अप्रैल की टैरिफ दरें लागू कर दी जाएंगी। ट्रंप प्रशासन का यह कदम वैश्विक स्तर पर व्यापार संतुलन साधने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।