×

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार तनाव: नितिन गडकरी का बयान

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ पर भारत की स्थिति को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनने और निर्यात बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीक की आवश्यकता है। गडकरी ने अमेरिका के इस कदम की आलोचना की और बताया कि भारत अपने किसानों और श्रमिकों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। जानें इस व्यापारिक तनाव के पीछे की पूरी कहानी और भारत का आधिकारिक रुख क्या है।
 

नितिन गडकरी का बयान

Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा कि आज के समय में जो देश 'दादागिरी' कर रहे हैं, वे अपनी आर्थिक ताकत और उन्नत तकनीक के कारण ऐसा कर पा रहे हैं। यह बयान तब आया है जब भारत अमेरिका द्वारा लगाए गए सबसे ऊंचे टैरिफ का सामना कर रहा है।


आत्मनिर्भरता और निर्यात पर जोर

गडकरी ने नागपुर के विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (VNIT) में एक कार्यक्रम में कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग भारत के आर्थिक सशक्तिकरण का आधार होना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत को निर्यात बढ़ाने, आयात कम करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए उन्नत तकनीक विकसित करनी होगी। गडकरी ने कहा कि जो देश वैश्विक स्तर पर 'दादागिरी' कर रहे हैं, वे आर्थिक रूप से मजबूत हैं और उनके पास बेहतरीन तकनीक है। यदि हमें बेहतर तकनीक और संसाधन मिल जाएं, तो हम किसी पर दबाव नहीं डालेंगे क्योंकि हमारी संस्कृति 'विश्व कल्याण' की शिक्षा देती है।


अमेरिका-भारत व्यापार तनाव में नया मोड़

गडकरी की टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 6 अगस्त को भारतीय वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के आदेश के बाद आई है, जिससे कुल टैरिफ दर 50% तक पहुंच गई है। यह भारत को अमेरिकी इतिहास में सबसे अधिक कर लगाए जाने वाले व्यापारिक साझेदारों में से एक बना देता है। इस निर्णय से भारत के कपड़ा, रत्न-आभूषण, दवा और ऑटो पार्ट्स जैसे कई उद्योग प्रभावित हुए हैं। व्हाइट हाउस ने इस फैसले को भारत द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद से जोड़ा है।


ऊर्जा सुरक्षा पर भारत का रुख

अमेरिकी दबाव के बावजूद, भारत ने स्पष्ट किया है कि रूसी तेल की खरीद उसके ऊर्जा सुरक्षा हितों के लिए आवश्यक है। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बीते दो दशकों की सबसे गंभीर कूटनीतिक खाई पैदा हो गई है। अमेरिका ने इस विवाद के चलते व्यापार वार्ता को स्थगित कर दिया है और आगे और प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है।


प्रधानमंत्री का अमेरिका को संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को अप्रत्यक्ष रूप से संदेश देते हुए कहा कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी श्रमिकों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा, चाहे इसके लिए उसे भारी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। मोदी ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि हमारे लिए किसानों का हित सर्वोच्च है। यह सरकार देश के मेहनतकश वर्ग की भलाई के लिए हर कदम उठाएगी।


रक्षा मंत्री की प्रतिक्रिया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अमेरिका के इस कदम की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें भारत की तेज आर्थिक वृद्धि से असहज हैं। अमेरिका को 'सबका बॉस' बताते हुए सिंह ने कहा कि कुछ देश यह चाहते हैं कि भारत में बने उत्पाद महंगे हो जाएं, ताकि उनकी वैश्विक मांग घट जाए। लेकिन अब कोई भी ताकत भारत को एक बड़ी वैश्विक शक्ति बनने से नहीं रोक सकती।


भारत का आधिकारिक रुख

भारत सरकार ने अमेरिकी टैरिफ को 'अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण' बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। साथ ही भारत ने अपने हितों की रक्षा के लिए 'सभी आवश्यक कदम' उठाने का संकल्प लिया है। सूत्रों के अनुसार, भारत इस मामले को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में उठाने की संभावना पर भी विचार कर रहा है, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सके।