भारत और पाकिस्तान का अफगानिस्तान मुद्दे पर एकजुटता: तालिबान के साथ नई चुनौतियाँ
भारत और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान के साथ मिलकर अमेरिका की बगराम एयरबेस पर नियंत्रण की कोशिश का विरोध किया है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है, जिसमें रूस और चीन का भी समर्थन शामिल है। जानें इस मुद्दे की गहराई और तालिबान की प्रतिक्रिया के बारे में।
Oct 8, 2025, 13:53 IST
भारत और पाकिस्तान का एकजुटता का दुर्लभ क्षण
इतिहास में शायद ही कभी ऐसा अवसर आया है जब भारत और पाकिस्तान किसी मुद्दे पर एक साथ खड़े हुए हों। यदि इसमें रूस और चीन जैसे देशों का समर्थन भी शामिल हो जाए, तो यह दर्शाता है कि मामला गंभीर है। वर्तमान में, अफगानिस्तान के संदर्भ में ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है। भारत तालिबान, पाकिस्तान, चीन और रूस के साथ मिलकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बगराम एयरबेस पर नियंत्रण की कोशिश का विरोध कर रहा है। यह घोषणा तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की नई दिल्ली की यात्रा से कुछ दिन पहले की गई है, जो किसी वरिष्ठ तालिबान राजनयिक की पहली ऐतिहासिक यात्रा होगी।
रूस में तालिबान के साथ भारत की चेतावनी
रूस की धरती से तालिबान के साथ भारत की चेतावनी
अफगानिस्तान पर मास्को प्रारूप परामर्श की सातवीं बैठक हाल ही में मास्को में आयोजित की गई, जिसमें अफगानिस्तान, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के विशेष प्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक में बेलारूस भी अतिथि के रूप में शामिल हुआ। ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा गया कि उन्होंने अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों में सैन्य बुनियादी ढांचे की तैनाती के प्रयासों को अस्वीकार किया, क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए हानिकारक है। हालांकि बगराम का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया गया, लेकिन इसे ट्रंप की मांग के संदर्भ में देखा गया।
ट्रंप की बगराम एयरबेस की मांग और तालिबान की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने मांगा बगराम, भड़का तालिबान
ट्रंप ने तालिबान से बार-बार बगराम एयरबेस सौंपने का आग्रह किया है, जो लगभग पाँच साल पहले 2020 के समझौते के बाद अमेरिका की वापसी का रास्ता साफ करता है। 18 सितंबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि हमने तालिबान को यह आधार मुफ्त में दे दिया था और अब हम इसे वापस चाहते हैं। दो दिन बाद, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस को अमेरिका को वापस नहीं करता है, तो परिणाम गंभीर होंगे। हालांकि, तालिबान ने इस मांग को दृढ़ता से खारिज कर दिया है। मुख्य प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान अपनी ज़मीन किसी को नहीं सौंपेगा।
बगराम एयरबेस का महत्व
ट्रंप बगराम क्यों चाहते हैं?
बगराम एयरबेस, जो काबुल से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है, अफगानिस्तान का सबसे बड़ा सैन्य हवाई अड्डा है। इसमें 3 किलोमीटर और 3.6 किलोमीटर के दो कंक्रीट रनवे हैं। इसकी रणनीतिक स्थिति इसे अफगान हवाई क्षेत्र में नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बनाती है। बगराम ने 2001 के बाद अमेरिका के नेतृत्व वाले "आतंकवाद के खिलाफ युद्ध" में एक केंद्रीय भूमिका निभाई थी। मास्को फ़ॉर्मेट वक्तव्य में एक स्वतंत्र, एकजुट और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान के लिए समर्थन की पुष्टि की गई और आतंकवाद-रोधी सहयोग पर जोर दिया गया। प्रतिभागियों ने आतंकवाद के उन्मूलन के लिए व्यापक उपायों का आग्रह किया, जो भारत की चिंताओं को दर्शाता है।