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भारत और भूटान के बीच ऐतिहासिक रेल परियोजनाओं की शुरुआत: क्या है इसका महत्व?

भारत और भूटान ने अपने द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पहली बार सीमा पार रेल परियोजनाओं की घोषणा की है। यह पहल दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को नया आयाम देगी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि ये परियोजनाएं पश्चिम बंगाल और असम को भूटान के प्रमुख शहरों से जोड़ेंगी। इन परियोजनाओं की कुल लागत 4,033 करोड़ रुपये होगी और यह लगभग चार साल में पूरी होने की उम्मीद है। भारत सरकार भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगी।
 

भारत-भूटान संबंधों में नया अध्याय

India Bhutan Relation: भारत और भूटान ने सोमवार को अपने द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पहली बार सीमा पार रेल परियोजनाओं की घोषणा की। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ये परियोजनाएं पश्चिम बंगाल के बानरहाट को भूटान के समत्से और असम के कोकराझार को भूटान के गेलेफू से जोड़ेंगी। यह पहल दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को नया आयाम देगी, जिससे व्यापार, पर्यटन और लोगों की आवाजाही में आसानी होगी।


विक्रम मिस्री का बयान

विक्रम मिस्री ने क्या कहा?


नई रेल परियोजनाएं भारत-भूटान संबंधों के लिए एक मील का पत्थर साबित होंगी। मिस्री ने कहा कि इनसे दोनों देशों के बीच विश्वास, आपसी सम्मान और साझा विकास लक्ष्यों पर आधारित संबंध और मजबूत होंगे। इन परियोजनाओं के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) नई दिल्ली में हस्ताक्षरित किया जाएगा, जो भूटान के विदेश सचिव की भारत यात्रा के दौरान होगा।


रेल मार्गों का महत्व

रेल मार्गों का विवरण भी महत्वपूर्ण है। पहली परियोजना पश्चिम बंगाल के बानरहाट को भूटान के समत्से से जोड़ेगी, जो एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है। दूसरी लाइन असम के कोकराझार से भूटान के गेलेफू तक जाएगी, जिसे माइंडफुलनेस सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इन रेल संपर्कों से क्षेत्रीय व्यापार, औद्योगिक गतिविधियों और पर्यटन को तेजी से बढ़ावा मिलेगा।


परियोजनाओं की लागत और विस्तार

4,033 करोड़ रुपये की लागत


इन दोनों परियोजनाओं की कुल लागत 4,033 करोड़ रुपये होगी और इनकी लंबाई लगभग 90 किलोमीटर होगी। निर्माण कार्य में छह स्टेशन, दो बड़े पुल, 29 प्रमुख पुल, 65 छोटे पुल, एक फ्लाईओवर और 39 अंडरपास शामिल होंगे। अनुमान है कि पूरा प्रोजेक्ट लगभग चार साल में पूरा हो जाएगा। परियोजनाओं के पूरा होते ही भूटान को भारत के विशाल रेल नेटवर्क और वैश्विक व्यापार मार्गों तक सीधी पहुंच मिल सकेगी।


भारत का भूटान के प्रति सहयोग

भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार


वैष्णव ने यह भी कहा कि भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और बेहतर रेल कनेक्टिविटी से भूटान की विशेष आर्थिक योजनाओं को नई ताकत मिलेगी। इससे न केवल व्यापार और निवेश में वृद्धि होगी, बल्कि रोजगार और विकास के नए अवसर भी पैदा होंगे।


विदेश सचिव मिस्री ने यह भी घोषणा की कि भारत सरकार भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। यह सहयोग दोनों देशों की गहरी साझेदारी और साझा प्रगति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


इन रेल परियोजनाओं से भारत और भूटान के बीच दोस्ती और मजबूत होगी और यह पहल पूरे दक्षिण एशिया में कनेक्टिविटी और सहयोग की नई मिसाल बनेगी।