×

भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी, वित्त मंत्री का सकारात्मक दृष्टिकोण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत की अर्थव्यवस्था के विकास पर सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि अच्छे मानसून और कृषि के कारण आने वाले समय में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन और बेहतर हो सकता है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, जीडीपी की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत तक पहुंच गई है। सीतारमण ने श्रम-प्रधान इकाइयों को सहायता देने की नीति की भी पुष्टि की। जानें उनके विचार और नीतियों के बारे में इस लेख में।
 

भारत की अर्थव्यवस्था का विकास

भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, और आने वाले समय में अच्छे मानसून और कृषि के कारण इसके प्रदर्शन में और सुधार की संभावना है। यह जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को साझा की।


हाल ही में जारी किए गए आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, कृषि, निर्माण और सेवा क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन के चलते 2024-25 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत तक पहुंच गई, जिससे पूरे वित्तीय वर्ष के लिए विकास दर 6.5 प्रतिशत रही।


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक मीडिया इंटरव्यू साझा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह विकास दर जारी रहेगी और अच्छे मानसून के कारण अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार होगा।


उन्होंने यह भी बताया कि हमारे बाजारों की गहराई स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है, जिससे खुदरा विक्रेताओं और आम नागरिकों को लाभ मिल रहा है।


सीतारमण ने कहा, "हमारी प्रणालियां पारदर्शी और डिजिटल हैं, और लोग घर बैठे ही इनका उपयोग कर सकते हैं। लोग दूसरों की मदद पर निर्भर रहने के बजाय खुद ही काम कर सकते हैं। यह एक स्वस्थ और गतिशील अर्थव्यवस्था का संकेत है।"


वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि श्रम-प्रधान इकाइयों को सहायता प्रदान की जाएगी।


उन्होंने कहा, "हमने यह सुनिश्चित किया है कि हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित सामान को भी सहायता मिलेगी। हम श्रम और पूंजी/तकनीक के बीच कोई भेद नहीं करेंगे। सभी प्रकार के विनिर्माण को नीतिगत समर्थन मिलेगा।"


सीतारमण ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने ठोस नीतियों का निर्माण किया है, जो लोगों, विशेषकर एमएसएमई की मदद करती हैं।


इसके अलावा, वित्त मंत्री ने कहा कि 2014 से रक्षा क्षेत्र की मांगों पर ध्यान दिया गया है, जिससे रक्षा उत्पादन और निर्यात में भी वृद्धि हुई है।