भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन: विशेषताएँ, रूट और स्पीड
भारत में हाइड्रोजन ट्रेन का सफल परीक्षण
Hydrogen Train India: भारतीय रेलवे ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। शुक्रवार को, रेलवे ने हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में किया गया। अगस्त के अंत तक भारत की पहली हाइड्रोजन पावर्ड ट्रेन को चलाने की योजना है, जो जींद-सोनीपत के बीच लगभग 90 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इसके अलावा, ऐसी 35 और ट्रेनें चलाने की योजना बनाई गई है। आइए जानते हैं इस ट्रेन की विशेषताएँ क्या हैं?
हाइड्रोजन ट्रेन की विशेषताएँ
यह ट्रेन नॉन-एसी होगी और इसमें 2 हाइड्रोजन फ्यूल पावर कार यानी इंजन होंगे। इसके साथ ही इसमें 8 पैसेंजर कोच भी होंगे। नॉर्दन रेलवे द्वारा जींद-सोनीपत ट्रैक पर इसे चलाया जाएगा, और इसकी गति लगभग 110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। ICF द्वारा 1200 हॉर्स पावर का प्रोटोटाइप हाइड्रोजन इंजन विकसित किया जा रहा है, जो छोटी दूरी के लिए उपयुक्त है।
कैसे कार्य करेगी हाइड्रोजन ट्रेन?
ट्रेन को चलाने के लिए ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता होती है। पहले, इंजन कोयले से चलाए जाते थे, फिर बिजली, डीजल और सीएनजी का उपयोग किया गया। अब, हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का विकास किया गया है।
यह ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल सिस्टम पर कार्य करेगी, जिसमें टैंक में हाइड्रोजन गैस भरी जाएगी और ऑक्सीजन बाहरी हवा से ली जाएगी। दोनों के रासायनिक प्रतिक्रिया से ऊर्जा उत्पन्न होगी, जिससे ट्रेन चलेगी। गर्मी और भाप बाहर निकल जाएगी। ट्रेन में एक बैटरी सिस्टम भी होगा, जिसे हाइड्रोजन फ्यूल सेल चार्ज करेगा।
अंतरराष्ट्रीय उपयोग
वर्तमान में, जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन जैसे देश हाइड्रोजन ट्रेन का उपयोग कर रहे हैं। इसकी एक विशेषता यह है कि यह प्रदूषण नहीं करती और कोई जहरीली गैस भी नहीं छोड़ती।
लागत का अनुमान
लगभग 2 साल पहले, रेल मंत्री ने राज्यसभा में बताया था कि 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की योजना है, जिसमें प्रति ट्रेन 80 करोड़ रुपये और बुनियादी ढांचे के लिए प्रति मार्ग लगभग 70 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
अश्विनी वैष्णव का वीडियो
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में एक वीडियो साझा किया, जिसमें सफेद रंग की ट्रेन चलती हुई दिखाई दे रही है। उन्होंने बताया कि भारत 1,200 हॉर्स पावर की हाइड्रोजन ट्रेन विकसित कर रहा है, जिससे भारत इस तकनीक में अग्रणी देशों में शामिल होगा।