भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में सावधानी बरतने की सलाह
अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर विचार
टैंक जीटीआरआई, एक आर्थिक शोध संस्थान, ने मंगलवार को चेतावनी दी कि भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देते समय सतर्क रहना चाहिए।
‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने कहा, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दृष्टिकोण मुक्त व्यापार समझौते का नहीं है, बल्कि यह अमेरिकी जवाबी शुल्क के सामने झुकने का है।’’
संस्थान ने बताया कि अमेरिका ने बढ़ाए गए शुल्क लागू करने की समय-सीमा को नौ जुलाई से बढ़ाकर एक अगस्त कर दिया है, जिससे देश-विशिष्ट शुल्क लागू होने से पहले अंतिम तीन सप्ताह का समय मिल जाएगा।
यह ध्यान देने योग्य है कि ट्रंप ने कार्यकारी आदेश में कई देशों पर बढ़ाए गए शुल्क को एक अगस्त तक टालने का निर्णय लिया है। यह 90 दिवसीय निलंबन पहले नौ जुलाई को समाप्त होना था। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को विभिन्न देशों को ‘पत्र’ भेजे, जिसमें उन देशों के उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले शुल्कों का विवरण दिया गया। भारत इस सूची में शामिल नहीं था।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अब ट्रंप दबाव बढ़ा रहे हैं। उन्होंने सात जुलाई को 14 देशों को भेजे गए औपचारिक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें बताया गया कि यदि वे समझौता करने में विफल रहे तो एक अगस्त से उन्हें कितने शुल्क का सामना करना पड़ेगा।’’
ट्रंप प्रशासन ने जापान, दक्षिण कोरिया, कजाकिस्तान, मलेशिया, ट्यूनीशिया पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की। दक्षिण अफ्रीका और बोस्निया एंड हर्जेगोविना पर 30 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत, बांग्लादेश और सर्बिया पर 35 प्रतिशत, कंबोडिया और थाईलैंड पर 36 प्रतिशत और लाओस एवं म्यांमा से आयातित सामान पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने की बात कही गई है।
श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका के ‘‘अंतिम नोटिस’’ में दी गई चेतावनियों के कारण देशों के पास दो विकल्प हैं: या तो अमेरिकी शर्तों पर समझौते पर हस्ताक्षर करें या जवाबी शुल्क का सामना करने के लिए तैयार रहें।
उन्होंने कहा कि शुल्क वृद्धि से व्यापार प्रवाह में बाधा, अमेरिका में उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि और वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला में जटिलताएं उत्पन्न होने की संभावना है।
चीन से अमेरिका का आयात मई 2025 में सालाना आधार पर 35 प्रतिशत कम था। उन्होंने कहा, ‘‘समयसीमा के खत्म होने की ओर बढ़ते हुए, आगामी दिनों में समझौते की घोषणा करने वालों की सूची में भारत सबसे आगे नजर आ रहा है, लेकिन उसे सावधानी से आगे बढ़ना होगा।’’
श्रीवास्तव ने चेतावनी दी कि अमेरिका द्वारा समझौतों को दरकिनार करने और ब्रिक्स सदस्यों पर एकतरफा शर्तें थोपने की इच्छा के मद्देनजर, भारत को असंतुलित समझौते के जोखिमों और संबंधों के सामरिक महत्व पर ध्यान देना चाहिए।