भारत ने यूएन में शांति की अपील की, युद्ध का समाधान बातचीत में
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का संदेश
संयुक्त राष्ट्र (न्यूयॉर्क): रूस और यूक्रेन के बीच जारी विनाशकारी युद्ध के बीच, भारत ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर शांति और संवाद की अपनी मजबूत आवाज उठाई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने संबोधन में, भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस संघर्ष का समाधान केवल बातचीत के माध्यम से ही संभव है, न कि हथियारों से।भारत ने न केवल शांति की अपील की, बल्कि यह भी कहा कि वह इस युद्ध को समाप्त करने के लिए किसी भी प्रकार के कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है। भारत का स्पष्ट संदेश है कि बातचीत ही एकमात्र समाधान है।
भारत ने यह भी दोहराया कि वह हमेशा से इस बात पर कायम है कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रसिद्ध बयान, "यह युग युद्ध का नहीं है", को याद करते हुए, भारत ने दुनिया को बताया कि इस संघर्ष की भारी कीमत केवल रूस और यूक्रेन नहीं, बल्कि पूरी दुनिया चुका रही है।
इस युद्ध के कारण अनाज, ईंधन और उर्वरक की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे विशेष रूप से गरीब और विकासशील देशों में संकट गहरा गया है।
भारत ने एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी भूमिका को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, "हम इस लड़ाई को खत्म करने के लिए होने वाली हर सच्ची कूटनीतिक कोशिश का हिस्सा बनने और उसे समर्थन देने के लिए तैयार हैं।" यह भारत की ओर से एक खुली पेशकश है कि वह शांति स्थापित करने की प्रक्रिया में एक मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए भी तैयार है।
भारत ने यह भी जोर दिया कि वह हमेशा सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के सिद्धांत पर विश्वास करता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत का यह संबोधन दुनिया के लिए एक आईना था। जबकि कई बड़े देश इस संघर्ष में हथियार और धन लगा रहे हैं, भारत बुद्ध और गांधी की धरती से शांति, संवाद और कूटनीति का रास्ता अपनाने की अपील कर रहा है।