भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच: राष्ट्रवाद या व्यापार?
क्रिकेट का जुनून और राष्ट्रीयता
भारत में क्रिकेट को एक धर्म के रूप में देखा जाता है, और जब बात भारत और पाकिस्तान के बीच मैच की होती है, तो यह जुनून और भी बढ़ जाता है। मैं क्रिकेट की दीवानी नहीं हूँ, न ही स्कोर पर ध्यान देती हूँ, लेकिन इस देश में प्रशंसा का होना अनिवार्य है। जब भारत-पाकिस्तान का मुकाबला होता है, तो दीवानगी का माहौल बन जाता है।
क्रिकेट और शत्रुता
कुछ लोग मानते हैं कि क्रिकेट शत्रुता को कम करता है, लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूँ। यह खेल पुराने घावों को और भी ताजा कर देता है। भारत-पाकिस्तान के मैच में सभी लोग, चाहे वे नेता हों या आम जनता, कट्टर राष्ट्रवादी बन जाते हैं।
मैच का बहिष्कार
हाल ही में, भारत-पाकिस्तान मैच के बहिष्कार की आवाजें उठने लगीं। कई घरों में, हमारे घर में भी एशिया कप का मैच नहीं देखा गया। यह पहली बार था जब लोगों ने भावनाओं की बजाय विवेक का सहारा लिया।
सरकार की भूमिका
सरकार ने कुछ महीने पहले पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। लेकिन अब वही सरकार मैच पर रोक लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। यह अजीब है कि जो सरकार राष्ट्रवाद का नारा लगाती है, वही पाकिस्तान के साथ मैच पर रोक नहीं लगा सकती।
खिलाड़ियों पर दबाव
खिलाड़ियों को ऐसे व्यवहार करने के लिए मजबूर किया गया जो खेल भावना के खिलाफ था। उन्होंने पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से मना कर दिया। यह रवैया उन्हें छोटा दिखाता है और इसका बोझ केवल खिलाड़ियों पर डाला गया।
अंतरराष्ट्रीय उदाहरण
इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जब देशों ने राजनीतिक कारणों से खेलों का बहिष्कार किया। लेकिन भारत में, जब पाकिस्तानी बल्लेबाज ने एक शॉट खेला, तो कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।
नया राष्ट्रवाद
क्या यही नया राष्ट्रवाद है? एक ऐसा राष्ट्रवाद जो सत्ता की जरूरत के अनुसार बदलता है। यह क्रिकेट अब सत्ता के प्रचार का एक साधन बन गया है।