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भारत बंद 9 जुलाई 2025: श्रमिक संगठनों का बड़ा आंदोलन

9 जुलाई 2025 को भारत बंद का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 25 करोड़ से अधिक श्रमिकों की भागीदारी की उम्मीद है। यह हड़ताल केंद्र ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों द्वारा की जा रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य सरकार की श्रम नीतियों का विरोध करना है। इस आंदोलन में बैंकिंग, बिजली, और परिवहन जैसे कई क्षेत्रों पर असर पड़ने की संभावना है। जानें इस हड़ताल के पीछे के कारण और श्रमिकों की प्रमुख मांगें क्या हैं।
 

भारत बंद का ऐलान

भारत बंद 9 जुलाई 2025: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के संयुक्त मंच ने आज भारत बंद की घोषणा की है। इस हड़ताल में देशभर के श्रमिकों की भागीदारी की उम्मीद है, जिसमें परिवहन, बैंकिंग, और ग्रामीण श्रमिक शामिल हैं। अनुमान है कि 25 करोड़ से अधिक श्रमिक इस बंद में भाग लेंगे। हालांकि, शेयर बाजार सामान्य रूप से खुले रहेंगे। यह हड़ताल 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के सहयोग से आयोजित की जा रही है, जिसमें किसान संगठनों का भी समर्थन है। यूनियनों का कहना है कि यह हड़ताल सरकार की नीतियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है, जो किसानों और श्रमिकों के अधिकारों का हनन कर रही हैं।


भारत बंद का समर्थन करने वाले संगठन

– इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC)


– ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)


– हिन्द मजदूर सभा (HMS)


– सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU)


– ऑल इंडिया यूनियन ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC)


– ट्रेड यूनियन कोरडिएशन सेंटर (TUCC)


– सेल्फ एम्प्लॉइड वीमेन एसोसिएशन (SEWA)


– ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (AICCTU)


– लेबर प्रोगेसिव फेडरेशन (LPF)


– यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC)


कौन-कौन से क्षेत्र प्रभावित होंगे

– बैंक कर्मचारी यूनियन ने बताया है कि बैंकिंग क्षेत्र के कर्मचारी भी इस बंद में शामिल होंगे, जिससे बैंक सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि, कोई आधिकारिक बैंक अवकाश नहीं घोषित किया गया है।


– बिजली क्षेत्र के 27 लाख श्रमिकों ने भी हड़ताल में भाग लेने का ऐलान किया है, जिससे बिजली सेवाएं बाधित हो सकती हैं।


– रेलवे सेवाओं पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है, साथ ही सार्वजनिक परिवहन भी प्रभावित हो सकता है।


– स्कूल और कॉलेज खुले रहेंगे, क्योंकि इनकी छुट्टी की कोई घोषणा नहीं हुई है।


– ट्रेड यूनियनों ने बेरोजगारी दूर करने, मनरेगा में काम के दिन और मजदूरी बढ़ाने, और अधिक रोजगार सृजन की मांग की है।


आंदोलन का कारण

इस हड़ताल का मुख्य कारण सरकार द्वारा बनाए गए चार श्रम कोड हैं। ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि ये कोड हड़ताल करना कठिन बनाते हैं, काम के घंटे बढ़ाते हैं, और नौकरी की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। निजीकरण और ठेका श्रमिकों की बढ़ती भूमिका के खिलाफ भी विरोध हो रहा है। इससे पहले 2020, 2022 और 2024 में भी इसी तरह की हड़तालें हुई थीं, जिनमें लाखों श्रमिकों ने प्रो-लेबर नीतियों की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था।


यूनियनों की मांगें

– मजदूरी को 26,000 रुपये प्रति माह किया जाए।


– पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।


– गांव और शहर में रोजगार गारंटी योजना का विस्तार किया जाए।


– चार श्रम कोड वापस लिए जाएं।