भारत बंद: श्रमिकों का बड़ा आंदोलन, क्या प्रभावित होंगी आपकी सेवाएं?
भारत बंद की घोषणा
भारत बंद: आज देशभर में एक महत्वपूर्ण राष्ट्रव्यापी बंद का आयोजन किया गया है, जिसमें केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी, किसान विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ 25 करोड़ से अधिक श्रमिक भाग लेंगे। यह हड़ताल कई महत्वपूर्ण सरकारी क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है, जिससे बैंकिंग, डाक सेवाएं, परिवहन और बिजली आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं में रुकावट आने की संभावना है।
बंद का आयोजन और समर्थन
यह बंद 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा आयोजित किया गया है, जिसे किसान संगठनों और ग्रामीण मजदूर संघों का समर्थन प्राप्त है। पिछले वर्षों में भी इस तरह के बड़े बंद देखे गए हैं, लेकिन इस बार इसका प्रभाव और दायरा अधिक व्यापक बताया जा रहा है।
सेवाओं पर प्रभाव
किन सेवाओं पर पड़ेगा असर?
बैंकिंग और बीमा सेवाएं: ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज़ एसोसिएशन (AIBEA) से जुड़े बंगाल प्रांतीय बैंक कर्मचारी संघ ने पुष्टि की है कि बैंक और बीमा क्षेत्र इस हड़ताल में शामिल होंगे। हालांकि आज कोई आधिकारिक बैंकिंग अवकाश नहीं है, लेकिन शाखाओं और एटीएम सेवाओं में बाधा आ सकती है।
डाक सेवाएं: सरकारी डाक सेवाओं पर भी हड़ताल का असर पड़ सकता है।
कोयला खनन और औद्योगिक उत्पादन: कोयला खदानों और बड़ी सरकारी फैक्ट्रियों में कामकाज ठप रहने की संभावना है।
राज्य संचालित सार्वजनिक परिवहन: राज्य परिवहन निगमों की बस सेवाएं भी प्रभावित रह सकती हैं।
बिजली आपूर्ति: बिजली क्षेत्र के 27 लाख से अधिक कर्मचारी हड़ताल में शामिल हो सकते हैं, जिससे कुछ क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है।
सरकारी कार्यालय और सार्वजनिक उपक्रम: NMDC, स्टील प्लांट्स और रेलवे संचालन से जुड़े कर्मियों ने भी आंदोलन को समर्थन दिया है।
कौन-कौन रहेंगे बंद से अछूते?
कौन-कौन रहेंगे बंद से अछूते?
स्कूल और कॉलेज: आज स्कूल और कॉलेज सामान्य रूप से खुले रहेंगे।
निजी कार्यालय: निजी क्षेत्र के कार्यालयों पर इसका सीधा असर नहीं होगा।
रेल सेवाएं: रेलवे की ओर से किसी हड़ताल की आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है, लेकिन विरोध प्रदर्शनों के कारण सेवाओं में देरी हो सकती है।
ट्रेड यूनियनों का विरोध
ट्रेड यूनियनों का विरोध क्यों?
प्रदर्शन का मुख्य कारण संसद द्वारा पारित चार नए श्रम संहिताओं (Labour Codes) के खिलाफ विरोध है। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि ये कानून मजदूरों के हक छीनते हैं:
हड़ताल करना मुश्किल बनाया गया है।
कार्य घंटों में वृद्धि की गई है।
श्रम कानूनों के उल्लंघन पर नियोक्ताओं को छूट दी गई है।
सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण और नौकरियों की आउटसोर्सिंग से स्थायी रोजगार खत्म हो रहा है।
हड़ताल में शामिल संगठन
कौन-कौन संगठन हड़ताल में शामिल?
केंद्रीय ट्रेड यूनियनें:
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)
इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC)
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU)
हिंद मजदूर सभा (HMS)
सेल्फ एम्प्लॉयड वीमेंस एसोसिएशन (SEWA)
लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF)
यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC)
समर्थक संगठन:
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM)
ग्रामीण श्रमिक संघ
सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी (रेलवे, NMDC, स्टील उद्योग आदि)
व्यापक समर्थन
व्यापक समर्थन, संगठित प्रतिरोध
यह आंदोलन केवल संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों तक सीमित नहीं है। असंगठित क्षेत्र के श्रमिक, स्वरोज़गार समूह जैसे कि SEWA और ग्रामीण समुदाय भी इसमें भाग लेंगे। यह हड़ताल सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ एक व्यापक प्रतिरोध का रूप ले चुकी है।