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भारत में नए लेबर कोड: कर्मचारियों और कंपनियों पर प्रभाव

भारत में श्रम कानूनों में एक महत्वपूर्ण बदलाव 2025 से लागू होने जा रहा है, जो कर्मचारियों की सैलरी और कंपनियों की लागत को प्रभावित करेगा। नए श्रम कोड के तहत भत्तों की परिभाषा में बदलाव होगा, जिससे कर्मचारियों के लिए लाभों की गणना में स्पष्टता आएगी। हालांकि, यह बदलाव नियोक्ताओं के लिए अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी ला सकता है। जानें इस बदलाव के विभिन्न पहलुओं और विशेषज्ञों की राय के बारे में।
 

भारत में लेबर कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव

भारत में श्रम कानूनों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन 2025 से लागू होने जा रहा है। नए श्रम कोड न केवल कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी को प्रभावित करेंगे, बल्कि कंपनियों की लागत और ग्रेच्युटी देनदारियों पर भी प्रभाव डालेंगे। पहले 'भत्ते' और 'सैलरी' की भिन्न व्याख्याओं ने कई असमानताएं उत्पन्न की थीं, जिन्हें अब एक समान नियमों के तहत बदला जा रहा है। इससे कर्मचारियों के लिए लाभों की गणना स्पष्ट होगी, जबकि नियोक्ताओं के लिए यह बदलाव खर्च बढ़ा सकता है।


नए लेबर कोड के प्रभाव

नए लेबर कोड क्या बदलने जा रहे हैं

21 नवंबर 2025 से लागू होने वाले नए श्रम कोड कर्मचारियों की सैलरी संरचना को प्रभावित करेंगे। अब 'भत्तों' की परिभाषा एक समान होगी, जिससे ग्रेच्युटी, पीएफ और अन्य लाभों की गणना में स्पष्टता आएगी। पहले अलग-अलग नियमों के कारण भ्रम और विवाद उत्पन्न होते थे।


भत्तों की नई परिभाषा

नए लेवर कोड के मुताबिक, अब क्या होंगे भत्ते

कोड ऑन वेजेज, 2019 की धारा 2(Y) के अनुसार भत्तों में बेसिक पे, महंगाई भत्ता और रिटेनिंग अलाउंस शामिल रहेंगे। हाउस रेंट, बोनस, ओवरटाइम, ट्रैवल अलाउंस और नियोक्ता के पीएफ योगदान जैसे कई भत्ते इसमें शामिल नहीं माने जाएंगे। गैर-नकद लाभ को अधिकतम 15% तक भत्ते का हिस्सा माना जा सकता है।


ग्रेच्युटी की राशि में बदलाव

क्यों बदलेगी ग्रेच्युटी की रकम

नई परिभाषा के अनुसार, यदि भत्ते से बाहर रखे गए भत्ते कुल वेतन का 50% से अधिक हैं, तो अतिरिक्त राशि को भत्ते में जोड़ा जाएगा। इससे कर्मचारियों की ग्रेच्युटी का आधार बढ़ेगा और अंतिम भुगतान पहले की तुलना में अधिक होगा। इससे कंपनियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ेगा।


कर्मचारियों के लाभ पर प्रभाव

कर्मचारियों के लाभ पर व्यापक असर

अब ग्रेच्युटी, पीएफ और कुल सैलरी की गणना में एक समान नियम लागू होंगे। कर्मचारी लंबे समय में अधिक ग्रेच्युटी प्राप्त कर सकते हैं, जबकि टेक-होम वेतन में कमी संभव है। नियोक्ताओं के लिए यह बदलाव अनुपालन और लागत दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण है।


विशेषज्ञों की राय

क्या कह रहे एक्सपर्ट्स

EY इंडिया के विशेषज्ञों का मानना है कि नई परिभाषा से स्पष्टता बढ़ेगी, लेकिन कंपनियों की लागत में वृद्धि होगी। टैक्स सलाहकार बताते हैं कि 50% नियम और 15% गैर-नकद लाभ प्रावधान इस परिवर्तन की सबसे महत्वपूर्ण कुंजी हैं, जिनसे सभी कर्मचारियों की ग्रेच्युटी में बदलाव होगा।