भारत में श्रम कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव: नए लेबर कोड लागू
भारत में श्रम कानूनों में बदलाव
नई दिल्ली: भारत की श्रम प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाते हुए नए लेबर कोड लागू किए गए हैं। इन कोडों ने पुरानी और बिखरी हुई श्रम व्यवस्थाओं को समाप्त कर एक स्पष्ट नियमों का ढांचा तैयार किया है।
इन नए प्रावधानों का वेतन, छुट्टियों, नियुक्ति पत्र, सामाजिक सुरक्षा, ओवरटाइम, न्यूनतम मजदूरी और कार्यस्थल सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। इसका असर न केवल नियमित कर्मचारियों पर, बल्कि फिक्स्ड-टर्म, कॉन्ट्रैक्ट, मीडिया, फैक्टरी और डिजिटल क्षेत्रों में कार्यरत लाखों लोगों पर भी होगा।
फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी का नया नियम
सरकार ने ग्रेच्युटी के नियमों को सरल और समान बना दिया है। अब कॉन्ट्रैक्ट या फिक्स्ड-टर्म पर कार्यरत कर्मचारी केवल एक वर्ष की सेवा के बाद ग्रेच्युटी के लिए पात्र होंगे, जबकि पहले इसके लिए पांच वर्षों की निरंतर सेवा आवश्यक थी। आईटी, मीडिया, सर्विस, मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों को इससे औपचारिक सुरक्षा मिलेगी और छोटे कॉन्ट्रैक्ट वाले कर्मचारियों को भी बुनियादी लाभ सुनिश्चित होंगे।
पेड लीव के लिए काम करने का नया मानदंड
नए नियमों के अनुसार, कर्मचारियों को सालाना पेड लीव का हक पाने के लिए अब 240 दिन की बजाय केवल 180 दिन काम करना होगा। यह बदलाव मौसमी उद्योगों, अनियमित शिफ्ट वाले काम और पार्ट-टाइम भूमिकाओं में राहत प्रदान करेगा। पहले लंबे मानदंडों के कारण कई कर्मचारी छुट्टियों के अधिकार से वंचित रह जाते थे। यह संशोधन व्यक्तिगत और पारिवारिक जरूरतों के लिए समय निकालना आसान बनाता है।
ओवरटाइम का नया प्रावधान
नए कोड में आठ घंटे की कार्य अवधि और 48 घंटे का साप्ताहिक नियम बरकरार है, लेकिन राज्यों को यह तय करने की स्वतंत्रता होगी कि कंपनियां चार लंबे, पांच मध्यम या छह सामान्य कार्यदिवस रखना चाहें। ओवरटाइम अब केवल स्वैच्छिक होगा और इसे सामान्य वेतन की दोगुनी दर पर देना अनिवार्य है। राज्यों को ओवरटाइम की सीमा बढ़ाने की अनुमति भी मिली है, जिससे काम का ढांचा अधिक लचीला और सुरक्षित बनेगा।
नियुक्ति पत्र की अनिवार्यता
अब सभी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से नियुक्ति पत्र मिलेगा, जिसमें वेतन, काम की शर्तें, समय और अधिकार स्पष्ट होंगे। इससे नौकरी की पारदर्शिता बढ़ेगी। इसके साथ ही न्यूनतम मजदूरी अब सभी क्षेत्रों पर लागू होगी और केंद्र द्वारा निर्धारित फ्लोर वेज से कोई भी राज्य कम वेतन नहीं रख सकेगा। यह उन कर्मचारियों के लिए बड़ी सुरक्षा है जो असंगठित क्षेत्रों में न्यूनतम वेतन से वंचित रहते थे।
आवागमन दुर्घटनाओं का नया प्रावधान
घर से कार्यस्थल के सफर के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को अब काम से संबंधित माना जाएगा, बशर्ते वे निर्धारित शर्तों के तहत हों। इससे कर्मचारियों को मुआवजा और बीमा लाभ पाना आसान होगा। ईएसआई कवरेज अब किसी विशेष अधिसूचित क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा। फैक्ट्रियों, दुकानों, प्लांटेशन और जोखिम वाले एक-व्यक्ति यूनिटों में भी कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा और मातृत्व लाभ जैसे अधिकार मिल सकेंगे।
मीडिया और डिजिटल वर्कर्स के लिए सुरक्षा
पत्रकारों, OTT वर्कर्स, डिजिटल क्रिएटर्स, डबिंग कलाकारों और तकनीकी क्रू को अब औपचारिक नियुक्ति पत्र और स्पष्ट कार्यशर्तें मिलेंगी। इससे रचनात्मक क्षेत्रों में लंबे समय से चली आ रही अनिश्चितता कम होगी। हालांकि, नई वेतन परिभाषा के कारण टेक-होम सैलरी कुछ मामलों में घट सकती है, क्योंकि पीएफ और ग्रेच्युटी जैसी कटौतियां बढ़ेंगी। यह परिवर्तन कर्मचारियों की दीर्घकालिक सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करेगा।