भारत में सड़क सुरक्षा के लिए ABS और हेलमेट नियमों में बदलाव
सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए नया नियम
भारत सरकार ने सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। जून 2026 से 125 सीसी तक के स्कूटर और मोटरसाइकिलों में ABS सिस्टम का होना अनिवार्य होगा। पहले इस श्रेणी में कॉम्बी ब्रेकिंग सिस्टम (CBS) का उपयोग किया जाता था। इसके अलावा, हर नई बाइक के साथ दो हेलमेट प्रदान करना भी आवश्यक होगा।
नए नियम की आवश्यकता
हाल के वर्षों में छोटे इंजन वाली बाइकों से संबंधित दुर्घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। परिवहन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों में 45 प्रतिशत दुपहिया वाहन चालक और सवार थे। विशेषज्ञों का कहना है कि कई दुर्घटनाएं अचानक ब्रेक लगाने के कारण होती हैं, जिससे बाइक असंतुलित हो जाती है।
इसलिए, सरकार अब एंट्री लेवल वाहनों में भी वही सुरक्षा उपाय लागू कर रही है जो पहले केवल प्रीमियम बाइकों में उपलब्ध थे।
ABS और CBS के बीच अंतर
CBS (कॉम्बी ब्रेक सिस्टम)
यह दोनों पहियों पर समान ब्रेकिंग प्रदान करता है, जिससे वाहन जल्दी रुकता है।
ABS (एंटी लॉक ब्रेक सिस्टम)
यह ब्रेक लगाने के दौरान पहियों को लॉक होने से रोकता है, जिससे बाइक स्किड नहीं होती।
ऑटो विशेषज्ञों का मानना है कि ABS दुर्घटना के दौरान नियंत्रण खोने की संभावना को काफी कम करता है, विशेषकर बारिश या खराब सड़कों पर।
दो हेलमेट की अनिवार्यता
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जून 2026 के बाद बिकने वाली हर बाइक के साथ दो हेलमेट खरीदना अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल चालक ही नहीं, बल्कि पीछे बैठने वाले व्यक्ति की भी सुरक्षा हो। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में पिलियन राइडर की सुरक्षा को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है।
इसका प्रभाव
यह बदलाव मुख्य रूप से उन उपभोक्ताओं पर प्रभाव डालेगा जो 125 सीसी तक के स्कूटर और मोटरसाइकिल खरीदते हैं, क्योंकि भारत में बिकने वाली बाइकों का सबसे बड़ा हिस्सा इसी श्रेणी में आता है।
इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि ABS के लागू होने से कीमतों में थोड़ी वृद्धि हो सकती है, लेकिन सड़क सुरक्षा में सुधार इसका सबसे बड़ा लाभ है।
इस कदम की आवश्यकता
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दोपहिया बाजार है और सड़क दुर्घटनाओं में मौतों के मामले में भी सबसे आगे है। ऐसे में,
- सुरक्षित ब्रेकिंग
- पिलियन सुरक्षा
- अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप डिजाइन
इन तीन क्षेत्रों में यह नियम बड़ा सुधार माना जा रहा है।
ऑटो सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह नियम प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो आने वाले वर्षों में दुर्घटनाओं और मौतों में कमी देखी जा सकती है।
भविष्य की दिशा
उद्योग में इस निर्णय के बाद कंपनियां अपने मॉडल को अपडेट करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
अधिकांश निर्माता पहले से ही कई मॉडलों में ABS प्रदान कर रहे हैं, लेकिन अब इसे सभी छोटे सेगमेंट वाहनों में मानक बनाना होगा।
यह कदम भारत की उस रणनीति को मजबूत करता है जिसमें लक्ष्य 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को आधा करना है।