भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी: अमेरिका की नई टैरिफ नीति का असर
शेयर बाजार में लगातार गिरावट
ट्रंप टैरिफ का प्रभाव: भारतीय शेयर बाजारों में शुक्रवार को गिरावट का सिलसिला छठे दिन भी जारी रहा। बीएसई सेंसेक्स 733.22 अंक की कमी के साथ 80,426.46 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 50 ने 236.15 अंक की गिरावट के साथ 24,654.70 पर दिन का समापन किया।
इस गिरावट ने बाजार में नकारात्मक भावना को और बढ़ा दिया है। अधिकांश व्यापक बाजार सूचकांक भी लाल निशान में बंद हुए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बिकवाली केवल बड़े शेयरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह लगभग सभी क्षेत्रों में फैली हुई है।
अमेरिका की नई टैरिफ नीति से बढ़ी चिंता
अमेरिका की नई टैरिफ नीति से बाजार में चिंता
अमेरिका ने 1 अक्टूबर से ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं के आयात पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिससे बाजार में चिंता बढ़ गई है। यह निर्णय भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए चिंता का विषय बन गया है, जो पहले से ही अमेरिका में H-1B वीज़ा शुल्क में वृद्धि से प्रभावित थीं। इस सप्ताह की शुरुआत में आईटी और फार्मा शेयरों पर इसका स्पष्ट असर देखा गया, जिनमें भारी बिकवाली हुई।
एनरिच मनी के सीईओ पोनमुडी आर के अनुसार, अमेरिकी नीतियों के प्रभाव से आईटी और फार्मा क्षेत्र की आय की संभावनाएं कमजोर हुई हैं, जिससे निवेशकों ने तेजी से अपनी पोजीशन घटाई। उन्होंने कहा कि रुपये की कमजोरी और अमेरिकी बॉंड यील्ड में वृद्धि ने भी बाजार पर दबाव डाला है।
कौन से शेयर प्रभावित हुए?
किन शेयरों पर रहा सबसे ज्यादा असर?
निफ्टी 50 में सबसे अधिक गिरावट इंडसइंड बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, आयशर मोटर्स, टाटा स्टील और बजाज फाइनेंस जैसे शेयरों में देखी गई। वहीं, एलएंडटी, टाटा मोटर्स, आईटीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज और मारुति ने कुछ हद तक मजबूती दिखाई।
तकनीकी संकेत और भविष्य की संभावनाएं
तकनीकी संकेत: आगे क्या?
तकनीकी दृष्टिकोण से, निफ्टी 50 ने 24,675 के नीचे क्लोजिंग देकर कमजोरी को बनाए रखा है। यदि यह 24,575 से नीचे टिकता है, तो अगला सपोर्ट 24,400 पर देखा जा रहा है। ऊपर की ओर, 24,932 से 25,000 का स्तर प्रतिरोध के रूप में कार्य कर सकता है।
बैंक निफ्टी की क्लोजिंग 54,400 से नीचे रही, जो कमजोरी का संकेत है। इसमें 54,000 और 53,600 प्रमुख सपोर्ट स्तर हैं और जब तक यह 54,900 से ऊपर नहीं निकलता, तब तक कोई बड़ी राहत की उम्मीद नहीं की जा रही है।
निवेशकों की नजर अमेरिका की नीतियों पर
निवेशकों की नजर अब अमेरिका की नीतियों पर
बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि अब निवेशकों की नजर अमेरिका से आने वाली नीतिगत स्पष्टता और प्रभावित कंपनियों की प्रबंधन प्रतिक्रियाओं पर टिकी होगी। इससे यह तय होगा कि आने वाले दिनों में सेक्टरल ग्रोथ और वैश्विक व्यापार पर क्या असर पड़ेगा।
बाजार का आरएसआई 38 पर है, जो बताता है कि यह ओवरसोल्ड ज़ोन के करीब है। इसलिए सावधानी के साथ अल्पकालिक रिकवरी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।