भीलवाड़ा में अंधविश्वास का खतरनाक मामला: 9 महीने के बच्चे को गर्म सलाखों से दागा गया
भीलवाड़ा में अंधविश्वास का खतरनाक मामला
भीलवाड़ा: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जो यह दर्शाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास कितना घातक हो सकता है। एक छोटे से गांव में, एक मां ने अपने 9 महीने के बच्चे को निमोनिया के इलाज के लिए लोहे की गर्म सलाखों से दागा। इसके परिणामस्वरूप बच्चे की स्थिति और बिगड़ गई, और उसे तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा।
जानकारी के अनुसार, यह घटना भीलवाड़ा के एक ग्रामीण क्षेत्र में हुई। कोइली देवी बागरिया नाम की मां ने बताया कि उसका 6 महीने का बेटा गोविंद कई दिनों से बुखार और सांस लेने में कठिनाई का सामना कर रहा था। डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय, उसने एक स्थानीय तांत्रिक की सलाह ली, जिसने दावा किया कि वह पारंपरिक अनुष्ठानों से बच्चे को ठीक कर सकता है।
अंधविश्वास ने बच्चे की जान को खतरे में डाला
तांत्रिक ने लोहे की छड़ें गर्म करके बच्चे के शरीर पर दबा दीं, यह मानते हुए कि इससे बीमारी ठीक हो जाएगी। दुर्भाग्यवश, इस क्रूरता के बाद बच्चे की स्थिति और बिगड़ गई। घबराए परिवार के सदस्य बच्चे को भीलवाड़ा के महात्मा गांधी मातृ एवं शिशु चिकित्सालय ले गए, जहां डॉक्टरों ने तुरंत उपचार शुरू किया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की स्थिति अब स्थिर है, लेकिन उसके शरीर पर गंभीर जलने के निशान हैं और संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
डॉक्टरों की अपील
चिकित्सा टीम ने गहरी चिंता व्यक्त की है कि अंधविश्वास और अंधविश्वासी प्रथाएं अभी भी भारत के कई ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की जान को खतरे में डाल रही हैं। अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे ऐसी खतरनाक प्रथाओं से बचें और बीमार बच्चों को योग्य चिकित्सा पेशेवरों के पास ले जाएं, बजाय स्थानीय वैद्यों या पारंपरिक रीति-रिवाजों पर निर्भर रहने के।
जागरूकता अभियान की योजना
जिला प्रशासन ने इस मामले का संज्ञान लिया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि वे जल्द ही गांवों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को अंधविश्वास के खतरों और चिकित्सा देखभाल के महत्व के बारे में शिक्षित करेंगे। यह हृदयविदारक घटना इस बात की याद दिलाती है कि शिक्षा और जागरूकता की कमी के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।