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मध्य पूर्व में तनाव से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ा दिया है। हाल ही में ब्रेंट क्रूड की कीमतें $90.75 प्रति बैरल को पार कर गई हैं, जिससे महंगाई की चिंताएं और गहरी हो गई हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यदि संघर्ष बढ़ता है, तो कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। जानें इस स्थिति का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
 

कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि

मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के चलते वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी वृद्धि हो रही है। शुक्रवार को, कीमतें अक्टूबर के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं, जिससे महंगाई की चिंताएं और बढ़ गई हैं। यह स्थिति इजरायल द्वारा सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हमले और ईरान की प्रतिक्रिया की धमकी के कारण उत्पन्न हुई है।


ब्रेंट क्रूड वायदा, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार का प्रमुख बेंचमार्क है, $90.75 प्रति बैरल को पार कर गया है। वहीं, वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड लगभग $86.59 प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। इस वृद्धि ने निवेशकों में चिंता पैदा कर दी है कि इस महत्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र में आपूर्ति बाधित हो सकती है।


एएनजेड के विश्लेषकों का अनुमान है कि यदि संघर्ष बढ़ता है, तो ब्रेंट क्रूड की कीमतें $100 प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। उन्होंने लाल सागर में हो रहे हूती हमलों के कारण बढ़ते जोखिम प्रीमियम को भी रेखांकित किया है, जिसने पहले ही शिपिंग मार्गों को प्रभावित किया है।


हालांकि, गोल्डमैन सैक्स का दृष्टिकोण थोड़ा भिन्न है। उनका कहना है कि कच्चे तेल की वर्तमान कीमत में पहले से ही एक बड़ा भू-राजनीतिक जोखिम प्रीमियम शामिल है, और यदि स्थिति और खराब नहीं होती है, तो कीमतें शायद अधिक नहीं बढ़ेंगी। उनका मानना है कि मौजूदा तेजी में पहले से ही भू-राजनीतिक अनिश्चितता शामिल है।


पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC+) ने हाल ही में अपनी तेल आपूर्ति नीति को बनाए रखने का निर्णय लिया है, जिसमें स्वैच्छिक उत्पादन कटौती शामिल है। मध्य पूर्व के तनाव के साथ यह निर्णय वैश्विक तेल आपूर्ति के दृष्टिकोण को और कड़ा कर रहा है।


यह अस्थिर स्थिति भू-राजनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच गहरे संबंध को दर्शाती है, जिसके संभावित गंभीर परिणाम महंगाई और आर्थिक विकास पर हो सकते हैं।