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मनीष सिसोदिया का केंद्र के कानून पर बयान: झूठे मामलों में सजा जरूरी

मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित कानून पर अपनी राय व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने झूठे मामलों में सजा की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका कहना है कि यदि किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को झूठे आरोप में जेल भेजा जाता है, तो उस कार्रवाई में शामिल अधिकारियों को भी दंडित किया जाना चाहिए। सिसोदिया ने यह भी कहा कि यह कानून केवल मंत्रियों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि आम नागरिकों को भी न्याय मिलना चाहिए। उनका मानना है कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जिम्मेदारी और ताकत दोनों का होना आवश्यक है।
 

केंद्र के प्रस्तावित कानून पर मनीष सिसोदिया की राय

राष्ट्रीय समाचार: मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार के नए कानून को सकारात्मक बताया, लेकिन इसे अधूरा भी माना। उनका कहना है कि यदि किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को झूठे आरोप में जेल भेजा जाता है, तो उस कार्रवाई में शामिल अधिकारियों और नेताओं को भी दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी नागरिक को गलत आरोपों के चलते जेल में डाल दिया जाता है और बाद में वह बरी होता है, तो आरोप लगाने वाले अधिकारियों और नेताओं को भी सजा मिलनी चाहिए।


दुरुपयोग पर चिंता

सिसोदिया ने कहा कि ईडी और सीबीआई का पहले ही दुरुपयोग हो चुका है। ऐसे में इस नए कानून का भी गलत इस्तेमाल हो सकता है। इसलिए, इसे सही और संतुलित तरीके से लागू किया जाना चाहिए।


निर्दोष साबित होने पर कार्रवाई

उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री निर्दोष साबित होता है, तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए, जैसे कि असली अपराधियों पर होती है।


आम नागरिकों के अधिकार

सिसोदिया ने यह स्पष्ट किया कि यह कानून केवल मंत्रियों तक सीमित नहीं होना चाहिए। देश की जेलों में कई निर्दोष लोग झूठे मामलों में बंद हैं। उन्हें न्याय तभी मिलेगा जब झूठे आरोप लगाने वालों को भी सजा मिलेगी।


लोकतंत्र में जिम्मेदारी

उन्होंने एक्स पर लिखा कि सत्ता के पास ताकत होना आवश्यक है, लेकिन जिम्मेदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। यदि झूठे मामलों में सजा दी जाएगी, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा और जनता का विश्वास बना रहेगा।