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महबूबा मुफ्ती ने ईरान-इजरायल तनाव पर उठाए सवाल, पाकिस्तान और ओआईसी पर साधा निशाना

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ओआईसी और पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठाते हुए भारत सरकार की चुप्पी को भी निंदनीय बताया। उनके बयान में अमेरिका द्वारा ईरान पर किए गए हवाई हमलों का जिक्र है, जिससे क्षेत्र में हिंसा की नई लहर की आशंका जताई गई है। जानें इस मुद्दे पर उनके विचार और राजनीतिक हलचल के बारे में।
 

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता तनाव

जम्मू: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे तनाव ने अब वैश्विक स्तर पर एक नया मोड़ ले लिया है। अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों, फोर्डो, नतांज और एस्फाहान पर हवाई हमले किए हैं, और राष्ट्रपति ट्रंप ने इन ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट करने का दावा किया है। इस घटना के बाद भारत में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। महबूबा मुफ्ती ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।


जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती ने मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी और विशेष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधा है। उन्होंने भारत सरकार की चुप्पी को भी 'अफसोसनाक' बताया है।


महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, "जैसा कि अपेक्षित था, ईरान पर हमले के बाद ओआईसी ने अपनी प्रतिक्रिया को केवल दिखावे तक सीमित रखा है। इस बीच, जिस देश ने डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सिफारिश करने में जल्दबाजी दिखाई थी, वह अब ईरान पर हमले के बाद खुद को शर्मिंदा महसूस कर रहा है।"


महबूबा मुफ्ती का इशारा स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की ओर था। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने हाल ही में व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की सिफारिश की थी। हालांकि, अमेरिका के इस ताजा हमले के बाद पाकिस्तान की यह सिफारिश विवादों में आ गई है।


महबूबा मुफ्ती ने आगे कहा, "ईरान पर इस हमले के जरिए ट्रंप ने तनाव को खतरनाक रूप से बढ़ा दिया है, जिससे क्षेत्र में हिंसा की एक नई लहर शुरू हो गई है। यह दुनिया को वैश्विक संघर्ष के कगार पर ले जा रहा है।"


महबूबा मुफ्ती ने भारत सरकार की प्रतिक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "यह दुखद है कि भारत को लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मामलों में ऐतिहासिक और सैद्धांतिक भूमिका निभाने वाले देश के रूप में देखा जाता है, लेकिन वह न केवल चुप है, बल्कि हमलावर के साथ खड़ा होता दिख रहा है।"