महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने पर मंत्री नितेश राणे का विवादित बयान
मंत्री नितेश राणे का नया विवाद
महाराष्ट्र के मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री नितेश राणे, जो अक्सर अपने बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं, ने एक बार फिर से विवाद खड़ा किया है। हाल ही में, राज्य सरकार ने स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर दिया है, जिसके खिलाफ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में कुछ दल विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन के लिए सुझाव
रविवार को, कुछ पत्रकारों ने नितेश राणे से इस मुद्दे पर बातचीत की। उन्होंने कहा, 'जावेद अख्तर, आमिर खान और राहुल को हिंदी थोपने पर कोई आपत्ति क्यों नहीं है? अगर सब कुछ ठीक है, तो उन्हें मराठी में बोलने के लिए कहें। इन सभी को मोहम्मद अली रोड या बेहरामपराड़ा से अपना विरोध करने के लिए कहिए।'
मराठी में अजान पढ़ने का सुझाव
उन्होंने आगे कहा कि यदि इन लोगों को मराठी भाषा से सच्चा प्रेम है, तो कल मस्जिद से होने वाली अजान को मराठी में पढ़वाएं। तब हम मानेंगे कि उन्हें मराठी से सच्चा लगाव है। असल में, विपक्ष को कोई ठोस मुद्दा नहीं मिल रहा है।
भाषा के मुद्दे पर हिंदुओं को बांटने का आरोप
मंत्री राणे ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य नहीं किया गया है और उन्होंने इसका पहले से विरोध किया है। उन्होंने कहा कि इसे वे छाती पर लिखकर नहीं घूम सकते। महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया है, और विपक्ष इसे बेवजह बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रहा है। उनका उद्देश्य केवल भाषा के मुद्दे पर हिंदुओं को बांटना है।