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महिला अधिकारियों पर राजनीति: गौतमबुद्धनगर की डीएम मेधा रूपम की सोशल मीडिया पर स्थिति

गौतमबुद्धनगर की जिलाधिकारी मेधा रूपम ने हाल ही में अपने एक्स अकाउंट को अस्थायी रूप से निष्क्रिय कर दिया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या महिला अधिकारियों को राजनीतिक निशाने का शिकार बनाया जा रहा है। उनके परिवार की तस्वीरों को सार्वजनिक कर उनके निजी जीवन को भी राजनीतिक बहस का हिस्सा बना दिया गया है। विपक्ष उनके पिता के राजनीतिक संबंधों को लेकर सवाल उठा रहा है। इस स्थिति में, पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा है कि लोकतंत्र में सवाल पूछना जरूरी है, लेकिन ये सवाल गरिमापूर्ण होने चाहिए।
 

गौतमबुद्धनगर की डीएम का सोशल मीडिया से दूरी बनाना

Greater Noida News: गौतमबुद्धनगर की जिलाधिकारी मेधा रूपम ने अपने एक्स अकाउंट को अस्थायी रूप से निष्क्रिय कर दिया है। इस स्थिति ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या महिला अधिकारियों को राजनीतिक निशाने का शिकार बनाया जा रहा है? मेधा रूपम इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग और राजनीतिक हमलों का शिकार बनी हुई हैं। उनके परिवार की तस्वीरों को सार्वजनिक कर उनके निजी जीवन को भी राजनीतिक बहस का हिस्सा बना दिया गया है। इन घटनाओं के बीच, डीएम ने सोशल मीडिया से दूरी बना ली है।


विपक्ष के सवाल और ट्रोलिंग

विपक्ष लगातार उठा रहा सवाल
विपक्ष मेधा रूपम के पिता के पुराने राजनीतिक संबंधों को लेकर सवाल उठा रहा है। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने उनकी पारिवारिक तस्वीरें भी वायरल कर दी हैं। इस मानसिक दबाव के चलते, डीएम मेधा रूपम को अपना एक्स अकाउंट अस्थायी रूप से निष्क्रिय करना पड़ा।


मेधा रूपम के पिता का परिचय

कौन है मेधा रूपम के पिता?
डीएम मेधा रूपम के पिता ज्ञानेश कुमार वर्तमान में भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। वह 1988 बैच के केरल कैडर के रिटायर्ड आईएएस हैं और इस वर्ष फरवरी में मुख्य चुनाव आयुक्त बने हैं।


सोशल मीडिया पर निजी हमले

राजनीतिक लाभ के लिए निजी हमले
आज के समय में, जब सोशल मीडिया एक प्रभावशाली माध्यम बन गया है, यह देखा जा रहा है कि किसी अधिकारी के खिलाफ असहमति को ट्रोलिंग के स्तर तक ले जाया जा रहा है। इस स्थिति के बीच, डीएम ने सोशल मीडिया से दूरी बना ली है।


जवाबदेही की आवश्यकता

जरूरत है जवाबदेही की, न कि निजी हमलों की
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का कहना है कि लोकतंत्र में सवाल पूछना आवश्यक है, लेकिन ये सवाल तर्कसंगत और गरिमापूर्ण होने चाहिए। महिला अधिकारियों को समान सम्मान और अधिकार मिलना चाहिए। निजी हमलों से बचना चाहिए और हर सवाल का जवाब देना चाहिए।