मारिया कोरीना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार: विवाद और आलोचना का केंद्र
मारिया कोरीना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के बाद विवादों का एक नया दौर शुरू हो गया है। उन्हें यह पुरस्कार लोकतंत्र की रक्षा और तानाशाही के खिलाफ संघर्ष के लिए दिया गया है, लेकिन उनके समर्थकों और आलोचकों के बीच इस पर तीखी बहस चल रही है। मचाडो के पुराने सोशल मीडिया पोस्ट्स और विदेशी हस्तक्षेप के आह्वान ने उनकी छवि को और विवादास्पद बना दिया है। जानें इस पुरस्कार के पीछे की कहानी और मचाडो के राजनीतिक रुख पर उठ रहे सवाल।
Oct 12, 2025, 23:03 IST
नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा
वेनज़ुएला की मारिया कोरीना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के बाद विवाद उत्पन्न हो गया है। उन्हें यह पुरस्कार उनके देश में लोकतंत्र की रक्षा और तानाशाही के खिलाफ संघर्ष के लिए दिया गया है, लेकिन उनके समर्थकों और आलोचकों के बीच इस पुरस्कार को लेकर बहस तेज हो गई है।
मचाडो का लोकतंत्र के प्रति योगदान
मचाडो वेनेज़ुएला के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन की एक प्रमुख हस्ती हैं और उन्होंने हाल के वर्षों में नागरिक साहस का प्रतीक बनकर दिखाया है। नोबेल पुरस्कार समिति ने उन्हें यह पुरस्कार देने का कारण बताया कि उन्होंने वेनेज़ुएला में लोकतंत्र की मशाल जलाए रखी और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। समिति के अध्यक्ष जॉर्गन वाटने फ्राइडनेस ने कहा कि मचाडो ने खतरे के बावजूद अपने देश में रहकर लाखों लोगों को प्रेरित किया और यह दिखाया कि लोकतंत्र के साधन शांति के साधन भी हो सकते हैं।
आलोचना और विवाद
हालांकि, मचाडो के खिलाफ आलोचना भी बढ़ रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके पुराने सोशल मीडिया पोस्ट्स में उन्होंने इजराइल और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी का समर्थन किया था। कई आलोचक उनके इस समर्थन को गाज़ा में इजरायली हवाई हमलों और कथित नरसंहार से जोड़कर देख रहे हैं। कुछ पोस्ट्स में मचाडो ने कहा था, “वेनेज़ुएला की लड़ाई इजराइल की लड़ाई है,” और यह भी कहा कि यदि वे सत्ता में आती हैं तो वे वेनेज़ुएला का दूतावास तेल अवीव से यरुशलम स्थानांतरित करेंगी।
विदेशी हस्तक्षेप का आह्वान
आलोचकों का यह भी कहना है कि मचाडो ने 2020 में लिकुड पार्टी के साथ सहयोग दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे। नार्वे के विधायक ब्जॉर्नर मोक्सनेस ने कहा कि गाज़ा में हिंसा के समय लिकुड पार्टी जिम्मेदार है, इसलिए नोबेल पुरस्कार का यह निर्णय शांति की भावना के अनुरूप नहीं है। अमेरिकी मुस्लिम नागरिक अधिकार संगठन काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस ने भी इसे “अस्वीकार्य” निर्णय बताया और समिति से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की।
निष्कर्ष
मचाडो के बारे में एक और विवाद यह है कि उन्होंने वेनेज़ुएला में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के शासन के खिलाफ विदेशी हस्तक्षेप का आह्वान किया था। 2018 में उन्होंने इजराइल और अर्जेंटीना के नेताओं को पत्र भेजकर कहा था कि वे उनके देश में तानाशाही को हटाने में सहयोग करें। उन्होंने इस पत्र की एक प्रति ऑनलाइन भी साझा की थी।
कुल मिलाकर, मचाडो का नोबेल शांति पुरस्कार विवादों और आलोचनाओं के बीच आया है, जिसमें उनके राजनीतिक रुख और विदेशी हस्तक्षेप की मांग को लेकर बहस चल रही हैं।