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मोदी सरकार का एक साल: उपलब्धियों की चर्चा और मीडिया का नया ट्रेंड

नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार ने अपने एक साल का कार्यकाल पूरा किया है, लेकिन इस बार मीडिया में सरकार की वाहवाही पहले जैसी नहीं है। प्रिंट मीडिया में सरकार की उपलब्धियों का प्रचार खुद सरकार द्वारा किया जा रहा है। कंगना रनौत जैसे सांसद भी सरकार की तारीफ कर रहे हैं, जबकि स्वतंत्र विश्लेषक अधिक तटस्थ बने हुए हैं। जानें, कैसे यह नया ट्रेंड राजनीति और मीडिया के रिश्ते को प्रभावित कर रहा है।
 

मोदी सरकार का जश्न और मीडिया का रुख

नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार ने नौ जून को अपने एक साल का कार्यकाल पूरा किया। इससे पहले, 26 मई को उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में 11 साल पूरे किए थे। इस अवसर पर दोनों जश्न एक साथ मनाए गए। लेकिन इससे पहले, सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक कूटनीतिक माहौल बनाने के लिए विभिन्न देशों में डेलिगेशन भेजा था। हालांकि, भाजपा को अपने प्रचार का ज्यादा अवसर नहीं मिला। नौ जून से उत्सव की शुरुआत हुई, लेकिन 12 जून को अहमदाबाद में एक गंभीर विमान दुर्घटना ने सब कुछ बदल दिया।


इस वर्ष एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। टेलीविजन मीडिया की बात अलग है, लेकिन प्रिंट मीडिया में सरकार की प्रशंसा पहले जैसी नहीं हो रही है। खास बात यह है कि सरकार अपनी उपलब्धियों का प्रचार खुद कर रही है। सरकार या तो विज्ञापनों के माध्यम से अपनी 11 साल की उपलब्धियों का बखान कर रही है या फिर मंत्री और सत्तारूढ़ दल के सांसद लेख लिखकर सरकार की उपलब्धियों का गुणगान कर रहे हैं। स्वतंत्र विश्लेषक और स्तंभकार अब अधिक तटस्थ नजर आ रहे हैं और खुलकर सरकार की प्रशंसा नहीं कर रहे हैं।


सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिखकर सरकार की 11 साल की उपलब्धियों की तारीफ की। यह न केवल सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा के लिए, बल्कि उस प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार के लिए भी एक चुनौती है, जिसने 2014 में कंगना रनौत का लेख प्रकाशित किया।


हालांकि, कंगना अकेली नहीं हैं। कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी सरकार के कामकाज की प्रशंसा की है और लेख लिखे हैं। कंगना के लेख के साथ, उस अखबार ने कम से कम दो अन्य मंत्रियों के लेख भी प्रकाशित किए हैं। अश्विनी वैष्णव और मनसुख मांडविया ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा में लेख लिखे। एक अन्य मंत्री भूपेंद्र यादव ने राहुल गांधी के लेख का जवाब देते हुए एक लेख लिखा। राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के चुनावों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि चुनाव आयोग ने भाजपा को जीत दिलाने के लिए मैच फिक्सिंग की।


भूपेंद्र यादव के जवाब में लेख के साथ-साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भी एक लेख लिखा। यह सोचने वाली बात है कि पहले नेता राजनीति करते थे और पत्रकार उनके कार्यों का विश्लेषण करते थे। अब नेता न केवल राजनीति कर रहे हैं, बल्कि अपने कार्यों की भी प्रशंसा कर रहे हैं। अखबारों के लिए यह आसान हो गया है कि वे राहुल गांधी का लेख छापें और उसके जवाब में फड़नवीस और भूपेंद्र यादव का लेख भी। इस तरह, अखबार अपनी जिम्मेदारी से बच जाते हैं।