मोहन भागवत का 75वां जन्मदिन: RSS के सरसंघचालक के भविष्य पर उठे सवाल
मोहन भागवत का जन्मदिन
Mohan Bhagwat Birthday: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत आज 75 वर्ष के हो गए हैं। पिछले 16 वर्षों से संघ के सरसंघचालक के रूप में कार्यरत, वह इस पद पर एम.एस. गोलवलकर और बालासाहेब देवरस के बाद सबसे लंबे समय तक रहने वाले तीसरे व्यक्ति हैं।
संन्यास की अटकलें
भागवत के 75वें जन्मदिन के अवसर पर संघ में नेतृत्व परिवर्तन और उनके संन्यास को लेकर चर्चाएं फिर से तेज हो गई हैं। हालांकि, उन्होंने पहले ही स्पष्ट किया है कि उनके बयान हल्के-फुल्के संदर्भ में थे और किसी विशेष व्यक्ति के लिए नहीं थे।
मोहन भागवत का जीवन
मोहन भागवत के बारे में
मोहन भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में हुआ। उनका जीवन संघ विचारधारा से जुड़ा रहा है, क्योंकि उनके पिता मधुकरराव भागवत भी आरएसएस के प्रचारक थे। उन्होंने लगभग 50 साल पहले संघ कार्य में कदम रखा और 2009 में सरसंघचालक बने।
सरसंघचालक के रूप में कार्यकाल
सरसंघचालक के रूप में तीसरे सबसे लंबा कार्यकाल
मोहन भागवत ने संघ के प्रमुख के रूप में 16 वर्षों का कार्यकाल पूरा किया है। संघ के पहले सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार के बाद, गुरु गोलवलकर ने 32 वर्षों तक संघ का नेतृत्व किया। इसके बाद बालासाहेब देवरस ने लगभग 20 वर्षों तक यह जिम्मेदारी निभाई। अब मोहन भागवत तीसरे स्थान पर हैं।
संन्यास की चर्चाएं
संन्यास की चर्चाएं
मोहन भागवत ने कुछ मौकों पर कहा है कि 75 वर्ष की उम्र के बाद सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेना चाहिए। इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा शुरू हो गई थी कि क्या यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए संकेत था, जो इस वर्ष 17 सितंबर को 75 वर्ष के हो जाएंगे। हालांकि, भागवत ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि वह दिवंगत आरएसएस नेता मोरोपंत पिंगले के एक मजाक का संदर्भ दे रहे थे।
संघ की नीतियों का महत्व
संघ की रीति-नीति से अलग है नेतृत्व का निर्णय
संघ में नियमित चुनाव या उम्र सीमा जैसी कोई बाध्यता नहीं है। सरसंघचालक का चयन अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा किया जाता है, और यह निर्णय पूरी तरह से संगठन की आवश्यकता और समय की मांग पर निर्भर करता है। इस प्रकार, मोहन भागवत का भविष्य संघ के निर्णय पर निर्भर करेगा।
मोहन भागवत की छवि एक मेहनती, विचारशील और समर्पित स्वयंसेवक की रही है। उन्होंने संघ को आधुनिक संदर्भों में दिशा देने का प्रयास किया है। उनकी नेतृत्व शैली में संतुलन और संवाद प्रमुख रहे हैं, जिससे संघ को कई नए आयाम मिले हैं।