मोहन भागवत का परिवार और शादी पर महत्वपूर्ण बयान
परिवार और शादी का महत्व
लिव-इन रिलेशनशिप पर मोहन भागवत की राय
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि परिवार और शादी केवल शारीरिक संतोष का साधन नहीं हैं, बल्कि ये समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होते।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अंडमान और निकोबार के लेफ्टिनेंट गवर्नर एडमिरल (रिटायर्ड) डीके जोशी भी उपस्थित थे। भागवत ने बताया कि परिवार संस्कृति और अर्थव्यवस्था का संगम है और यह समाज को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शादी की आदर्श उम्र
भागवत ने कहा कि परिवार वह स्थान है जहाँ व्यक्ति समाज में जीने की कला सीखता है। उन्होंने यह भी बताया कि शादी की उम्र के लिए कोई निश्चित मानक नहीं है, लेकिन अनुसंधान से पता चलता है कि 19 से 25 वर्ष की उम्र के बीच शादी करना उचित होता है।
मुख्य बिंदु
- परिवार में बच्चों की संख्या पति-पत्नी और समाज द्वारा तय की जाती है। कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है। चिकित्सकों के अनुसार, यदि शादी जल्दी होती है और तीन बच्चे होते हैं, तो परिवार का स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
- भारतीय जनसंख्या का प्रभावी प्रबंधन नहीं किया गया है। जनसंख्या एक बोझ हो सकती है, लेकिन यह एक संपत्ति भी है।
- हमें देश के पर्यावरण, आधारभूत संरचना, महिलाओं की स्थिति और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 50 वर्षों के लिए नीति बनानी चाहिए।
- डेमोग्राफर के अनुसार, यदि जन्म दर 2.1 से कम हो जाती है, तो यह खतरनाक है। वर्तमान में, बिहार के कारण हम 2.1 पर हैं; अन्यथा, हमारी दर 1.9 है।