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यमन में भारतीय नर्स को मौत की सजा, जानें पूरा मामला

केरल की 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। यह मामला तब शुरू हुआ जब उन्होंने अपने साथी के पासपोर्ट को वापस पाने के लिए उसे नशीला पदार्थ दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। निमिषा और उनकी सहकर्मी ने शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में फेंक दिया। अब, सामाजिक कार्यकर्ता और भारतीय सरकार उनके जीवन को बचाने के लिए प्रयासरत हैं। जानें इस जटिल मामले की पूरी कहानी।
 

निमिषा प्रिया की सजा

Nimisha Priya: केरल के पलक्कड़ जिले की 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सजा सुनाई गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी। उन पर यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का आरोप है। वर्तमान में, वह यमन की राजधानी सना में एक जेल में बंद हैं, जो हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है।


हत्या का मामला

निमिषा ने 2011 में सना में नर्स के रूप में कार्य करना शुरू किया था। यमन में विदेशी नागरिकों के लिए स्थानीय साझेदार के साथ क्लिनिक खोलना आवश्यक है। निमिषा ने तलाल के साथ मिलकर एक क्लिनिक की स्थापना की थी। आरोप है कि तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था।


पासपोर्ट वापस पाने के लिए निमिषा ने तलाल को नशीला पदार्थ दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, निमिषा और उनकी सहकर्मी हनन ने तलाल के शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में फेंक दिया।


कानूनी कार्यवाही और सजा

जुलाई 2017 में एक स्थानीय अदालत ने निमिषा को हत्या का दोषी ठहराया। 2024 में यमन के सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने इस फैसले को बरकरार रखा और फांसी की सजा को मंजूरी दी। यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलिमी ने भी इस निर्णय पर सहमति जताई।


प्रस्ताव का जवाब अभी तक नहीं मिला

सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बास्करन यमन सरकार और तलाल के परिवार के साथ बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि तलाल के परिवार को एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसका जवाब अभी तक नहीं मिला है। बास्करन जल्द ही यमन जाएंगे ताकि निमिषा की जान बचाने के लिए और प्रयास किए जा सकें।


भारतीय सरकार के हस्तक्षेप से भी उम्मीदें बनी हुई हैं। निमिषा 2011 में सना गई थीं। वित्तीय समस्याओं के कारण उनके पति और बेटी को 2014 में भारत लौटना पड़ा। यमन में युद्ध के कारण परिवार का पुनर्मिलन नहीं हो सका।