×

यमुनानगर में प्रदूषण की स्थिति: AQI 331 तक पहुंचा

यमुनानगर में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक हो गई है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 331 तक पहुंच गया है। इस बढ़ते प्रदूषण के कारण नागरिकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार प्रदूषण के कारण अलग हैं, जिसमें कूड़े में आग लगाना और फैक्ट्रियों का धुआं शामिल हैं। जिला प्रशासन ने पेड़ों पर पानी छिड़काव शुरू किया है, लेकिन क्या यह पर्याप्त होगा? जानें इस मुद्दे पर और अधिक जानकारी।
 

यमुनानगर में प्रदूषण की गंभीरता

यमुनानगर (Yamunanagar Air Pollution): शहर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में, यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 331 तक पहुंच गया है, जिससे हवा अत्यधिक जहरीली हो गई है और नागरिकों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।


यमुनानगर की वायु गुणवत्ता में निरंतर गिरावट आ रही है। हाल ही में AQI 331 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जबकि एक दिन पहले यह 289 था। बढ़ते प्रदूषण के कारण, कई लोग फिर से मास्क पहनने को मजबूर हो गए हैं। तीसरे दिन भी जिले में धुंध छाई रही, धूप का प्रभाव कम रहा और दृश्यता में कमी आई।


हालांकि लोग जहरीली हवा से परेशान हैं, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।


यमुनानगर में प्रदूषण के नए कारण

यमुनानगर में प्रदूषण के कारण


पिछले वर्षों में प्रदूषण का मुख्य कारण खेतों में जलने वाले फसल अवशेष माने जाते थे, लेकिन इस बार केवल 7 मामले सामने आए हैं, जिनमें से केवल 2 में अवशेष जलते पाए गए।


बारिश की कमी के कारण पेड़ों पर धूल की मोटी परत जम गई है। पहले दमकल विभाग इन पेड़ों पर पानी का छिड़काव करता था, लेकिन इस बार यह कार्य भी नहीं किया गया।


स्मॉग का मौसम पर प्रभाव

स्मॉग का तापमान पर असर


स्मॉग का प्रभाव मौसम पर भी स्पष्ट है। जिले का अधिकतम और न्यूनतम तापमान 1 डिग्री तक गिर गया है। शनिवार को अधिकतम तापमान 25 डिग्री और न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।


हालांकि धूप निकली, लेकिन इसका प्रभाव कम रहा और ठंड का असर बढ़ता जा रहा है।


पेड़ों पर पानी का छिड़काव

पेड़ों पर पानी का छिड़काव शुरू


जिला दमकल अधिकारी पंकज पराशर ने बताया कि प्रदूषण के बढ़ने के कारण अब पेड़ों पर पानी छिड़कने के आदेश दिए गए हैं। बारिश न होने के कारण पत्तों पर धूल जम जाती है, जिससे ऑक्सीजन उत्पादन प्रभावित होता है।


उन्होंने कहा कि छिड़काव का कार्य शुरू हो चुका है।


प्रदूषण के तीन प्रमुख कारण

शहर में प्रदूषण बढ़ने के तीन बड़े कारण


1. फैक्ट्रियों का धुआं और नियमों की अनदेखी
शहर के औद्योगिक क्षेत्रों में सैकड़ों फैक्ट्रियां चल रही हैं, जिनमें बायलर लगातार जल रहे हैं। चिमनियों से निकलने वाला काला धुआं प्रदूषण नियंत्रण के नियमों की अनदेखी को दर्शाता है।


2. कूड़े में आग लगाना
शहर में जगह-जगह पड़े कूड़े को उठाने के बजाय आग लगा दी जाती है। कई लोग बताते हैं कि सफाई कर्मचारी कूड़ा उठाने के बजाय वहीं जला देते हैं। दुकानदार और लोग भी खाली प्लॉटों में पड़े कूड़े में आग लगाते दिखते हैं।


3. सड़कों पर जमी धूल और डंपर
सड़कों के किनारों पर मोटी धूल जमा है। खनन सामग्री ले जाने वाले डंपर और ट्रक दिनभर दौड़ते रहते हैं, जिससे रेत गिरती रहती है। वाहन गुजरते ही धूल हवा में उड़कर मिल जाती है।


कई बार धूल इतनी ज्यादा उड़ती है कि कुछ भी साफ दिखाई नहीं देता। पेड़ों के पत्तों पर जमी धूल ऑक्सीजन उत्पादन को भी कम कर रही है।