यासीन मलिक के सनसनीखेज दावे: शंकराचार्य और आरएसएस नेताओं से मुलाकात
यासीन मलिक का नया दावा
आतंकी फंडिंग के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक ने हाल ही में एक चौंकाने वाला बयान दिया है। इस बयान में उन्होंने कई प्रमुख राजनीतिक और धार्मिक हस्तियों के साथ अपने पूर्व संबंधों का उल्लेख किया है।
हलफनामे में उल्लेखित बातें
मलिक ने अपने हलफनामे में दो शंकराचार्यों के बीच उच्चस्तरीय वार्ता, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं के साथ संपर्क, भारतीय खुफिया अधिकारियों के साथ बैठकें, और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 2000-01 के रमजान युद्ध विराम में उनकी भूमिका का जिक्र किया है।
मनमोहन सिंह से मुलाकात का दावा
मलिक ने यह भी कहा कि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद से मुलाकात के बाद व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद दिया था। यह मुलाकात 2006 में हुई थी।
शंकराचार्यों का दौरा
मलिक का दावा है कि विभिन्न मठों के कम से कम दो शंकराचार्य उनके श्रीनगर स्थित आवास पर कई बार आए और उनके साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्यों ऐसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे व्यक्ति के साथ बहुसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों ने अपना नाम जोड़ा।
आरएसएस नेताओं के साथ बैठक
मलिक ने 2011 में नई दिल्ली में आरएसएस नेताओं के साथ हुई एक पांच घंटे की बैठक का भी जिक्र किया। उनका कहना है कि यह बैठक दिल्ली स्थित थिंक टैंक द्वारा आयोजित की गई थी।
अजीत डोभाल से मुलाकात
मलिक ने यह भी बताया कि उनकी मुलाकात अजीत डोभाल से हुई थी, जिन्होंने उन्हें तत्कालीन आईबी निदेशक और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मिलवाया।
कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा ने यासीन मलिक के हलफनामे का इस्तेमाल कर मनमोहन सिंह को बदनाम करने की कोशिश की है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आरएसएस और विवेकानंद फाउंडेशन ने मलिक से क्यों संपर्क किया।
केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यासीन मलिक से हाथ मिलाया था और यह सवाल उठाया कि आज देश में आतंकवादी गतिविधियों में कमी क्यों आई है।
बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने मलिक के दावों को लेकर कांग्रेस सरकार पर सवाल उठाए हैं, यह कहते हुए कि यह मुलाकात एक गुप्त शांति प्रक्रिया के तहत हुई थी।