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युवक ने जींद से तिरंगा लेकर करनाल में सीईटी की तिथि बढ़ाने की मांग की

हरियाणा के जींद से एक युवक ने तिरंगा लेकर करनाल में पैदल यात्रा शुरू की है, जिसका उद्देश्य सीईटी परीक्षा की आवेदन तिथि को बढ़वाना है। अजीत नामक इस युवक का कहना है कि वह लाखों युवाओं की आवाज बनकर यह यात्रा कर रहा है, जो आवेदन नहीं कर पाए। वह चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी मांग रखेगा। जानें इस यात्रा के पीछे की पूरी कहानी और अजीत की प्रमुख मांगें।
 

जींद के युवक की तिरंगा यात्रा


जींद के पाथरी गांव का युवक चंडीगढ़ के लिए निकला
हरियाणा के जींद जिले का एक युवक, जो हाथ में तिरंगा लिए पैदल यात्रा पर निकला है, शनिवार की शाम को करनाल पहुंचा। इस यात्रा का उद्देश्य सीईटी परीक्षा की आवेदन तिथि को बढ़वाना है। युवक चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री नायब सैनी से मिलकर इस संबंध में अपनी मांग रखेगा।


युवक का नाम अजीत है, जो जींद के पाथरी गांव का निवासी है। अजीत का कहना है कि वह इस यात्रा के माध्यम से उन लाखों युवाओं की आवाज उठाना चाहता है, जो सीईटी फार्म भरने से वंचित रह गए हैं। यदि तिथि नहीं बढ़ाई गई, तो वह भी परीक्षा में भाग नहीं ले सकेगा।


पोर्टल खोलने की मांग

अजीत ने बताया कि सीईटी फार्म भरने की अंतिम तिथि 12 जून थी, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण लगभग दो लाख युवा आवेदन नहीं कर पाए। कई युवा अपने दस्तावेज पूरे करने में उलझे रहे और पोर्टल बंद हो गया। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि कम से कम 3 से 5 दिन के लिए पोर्टल फिर से खोला जाए ताकि सभी युवा आवेदन कर सकें।


मुख्य मांगें

अजीत की पहली मांग है कि सीईटी फार्म भरने की अंतिम तिथि को बढ़ाया जाए। दूसरी मांग है कि सरकारी विभागों में खाली पदों पर स्थायी भर्ती की जाए, न कि ठेके पर। तीसरी मांग है कि युवाओं को राजनीति का मोहरा बनाना बंद किया जाए। अजीत ने कहा कि उसने खुद अपना फार्म भरा है, लेकिन वह इस आंदोलन में उन युवाओं के लिए आवाज उठा रहा है जो फार्म नहीं भर पाए।


फीस को लेकर चिंता

अजीत ने सीईटी आवेदन के लिए निर्धारित 1,000 रुपए की फीस को भी अधिक बताया और कहा कि यह सभी युवाओं के लिए वहन करना संभव नहीं है। उन्होंने सरकार से इसे घटाने की अपील की ताकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के युवा भी परीक्षा में शामिल हो सकें। यदि फार्म न भर पाने वाले युवा इस बार मौका चूक जाते हैं, तो उन्हें इसके लिए लंबे समय तक पछताना पड़ेगा।