यूके के प्रतिनिधियों ने तिहाड़ जेल का दौरा किया, प्रत्यर्पण मामलों की समीक्षा
तिहाड़ जेल का दौरा
हाल ही में, यूनाइटेड किंगडम की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल का निरीक्षण करने पहुंचा। इस दौरे का उद्देश्य जेल की स्थितियों का मूल्यांकन करना था, ताकि भारत में चल रहे प्रत्यर्पण मामलों, जिनमें विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे आर्थिक अपराधी शामिल हैं, को मजबूती प्रदान की जा सके। गृह मंत्रालय के सहयोग से आयोजित इस दौरे को यूके की अदालतों में चल रही कानूनी प्रक्रियाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
जेल की सुविधाओं का निरीक्षण
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सीपीएस के चार सदस्यीय दल में दो विशेषज्ञ और दो ब्रिटिश हाई कमीशन के अधिकारी शामिल थे, जिन्होंने जुलाई में तिहाड़ जेल का दौरा किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीपीएस टीम ने जेल की सुविधाओं, विशेषकर हाई सिक्योरिटी वार्डों का निरीक्षण किया और वहां की व्यवस्थाओं से संतुष्ट नजर आई। उन्होंने यह भी पाया कि तिहाड़ जेल की सुविधाएं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं।
कैदियों से बातचीत
तिहाड़ जेल की सुविधाओं ने जीता भरोसा
टीम ने न केवल हाई सिक्योरिटी वार्डों का जायजा लिया, बल्कि कुछ कैदियों से भी बातचीत की। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि यदि आवश्यक हुआ, तो तिहाड़ परिसर में एक विशेष "एन्क्लेव" स्थापित किया जा सकता है, जो प्रत्यर्पित व्यक्तियों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करेगा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
प्रत्यर्पण प्रक्रिया में भारत की प्रतिबद्धता
प्रत्यर्पण प्रक्रिया में भारत की प्रतिबद्धता
सीपीएस दल ने गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, जांच एजेंसियों और तिहाड़ जेल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की। इस दौरान यूके से संदिग्धों के प्रत्यर्पण और सीपीएस अभियोजकों की कानूनी जरूरतों से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की गई। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि यह दौरा और बैठकें भारत की उन कोशिशों का हिस्सा हैं, जिनमें यूके में शरण ले चुके भगोड़ों को वापस लाने की मांग की जा रही है।
यूके में भगोड़ों की स्थिति
यूके में कई हाई-प्रोफाइल भगोड़े, जैसे हथियार डीलर संजय भंडारी और हीरा कारोबारी नीरव मोदी, वहां की अदालतों में यह दलील दे रहे हैं कि यदि उन्हें भारत प्रत्यर्पित किया गया, तो तिहाड़ जेल में उन्हें अन्य कैदियों या जेल अधिकारियों से जबरन वसूली, यातना या हिंसा का सामना करना पड़ सकता है।
भारत को मिले झटके
यूके की अदालतों में भारत को लगा है कई बार झटका
तिहाड़ जेल की स्थिति को लेकर यूके की अदालतों में भारत को हाल ही में कुछ झटके लगे हैं। इस साल 28 फरवरी को यूके हाई कोर्ट ने संजय भंडारी के प्रत्यर्पण को खारिज कर दिया, जिसमें जेल की परिस्थितियां एक प्रमुख कारण थीं। अप्रैल में हाई कोर्ट ने भारत को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति भी नहीं दी, जिसके बाद भंडारी लंदन में स्वतंत्र हो गए।
अवस्ती दंपति का मामला
इसी तरह, 11 अप्रैल को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के मुख्य मजिस्ट्रेट पॉल गोल्डस्प्रिंग ने 750 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में आरोपी दंपति, विरकरण अवस्ती और उनकी पत्नी रितिका अवस्ती को बिना शर्त जमानत पर रिहा कर दिया। गोल्डस्प्रिंग ने अपने आदेश में भंडारी मामले का हवाला देते हुए कहा कि जब तक यह आश्वासन नहीं मिलता कि अवस्ती को तिहाड़ जेल में नहीं रखा जाएगा, तब तक जोखिम बना रहेगा।